________________
CiOYASAN
अपापापुरी में प्रभु का निर्वाण । शुभ दिन ऋजुवालुका नदि के किनारे श्यामाक नामक किसान के खेत में गोदोहिका आसन में आतापना लेते-लेते केवलज्ञान पाया। देवों ने समवसरण की रचना की। कल्प अनुसार क्षणभर देशना देकर गणधरपद को एवं साधु होने लायक कोई जीव न होने से प्रभु ने विहार किया। एक रात में बारह योजन विहार करके अपापापुरी में प्रभु पधारे।महसेन वन में हुए समवसरण की ओर आते देवों को देखकर आश्चर्यचकित और अपने यज्ञ की महिमा की कल्पना करनेवाले इन्द्रभूति आदि ब्राह्मणगण प्रभु को सर्वज्ञ रूप में ख्यात जानकर वाद करने आये, प्रतिबोधपाये।गणधरपद पाये।तीस वर्ष तक केवली रूप में विचरण करते प्रभुजी आज अपापापुरी नगरी में अंतिम चातुर्मास के लिये पधारकर अंतिम विशेष लाभ का हेतु जानकर चोविहार छट्ठहोने पर भी सोलह प्रहर की देशना दी। तदनन्तर देवशर्मा को प्रतिबोधदेने के बहाने गौतमस्वामी को रागबंधन तोड़ाने के लिये उन्हें भेजकर कार्तिक मास कृष्णपक्ष (आश्विन कृष्णपक्ष ३० )की रात में निर्वाण पाये । देवों ने निर्वाण महोत्सव किया। राजाओं ने भाव उद्योत जाते द्रव्य उद्योत दीपक जलाकर किया, तब से दीपावली मनायी जा रही है। प्रभु के निर्वाण का समाचार पाने से आघात पाये गौतमस्वामिजी तत्त्व का विचार करते हुए केवलज्ञान पाये । प्रभु महावीर के जीवन चरित्र की संक्षिप्त बातें हम लोग आज पूर्ण करते हैं।
प्रभूवीर एवं उपसर्ग
76