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. प्रभूवीर एवं उपसर्गा
ला29 दूत आकर समाचार देता है कि 'महाराज, सीमावर्ती राजा स्वच्छंद होकर . मर्यादा का उल्लंघन कर रहा हैं।' राजा यह सभी नाटक जानते थे, फिर भी कोप
का आडंबर करके सेना को सावधान करते हैं । युद्धयात्रा की भेरी बजायी जाती है, प्रयाण हेतु रथारूढ होते हैं। वहाँ उद्यान में उपस्थित विश्वभूति भेरी का ध्वनि दौडते आकर पिता केबड़ेबंधुऐसेराजा का चरण चुमकर कहते हैं, तात! मेरे होते हुए भी आप युद्ध में जाते हो?आप मुझे आज्ञा दीजिये...कौन है वह? मैं अभी ही उसे जीतकर आता हूँ। राजा नाटकीय दिखावा करते हुए आनाकानी करते हैं, फिर युद्ध के लिये आदेश देते हैं । यह सब मंत्रियों की योजना के अनुसार हुआ है, सबको मालूम ही था कि युद्ध की रणभेरी सुनने के बाद सच्चा क्षत्रिय बैठे रह नहीं सकता, फिर भी ऐसी योजना बनी थी। संसार में तो ऐसे कितने ही मायाचार चलते होंगे?
मा विश्वभूतिने युद्ध के लिये प्रयाण किया, लेकिन सीमा के राजा तो कुमार के आगमन से खुश होकर इनके स्वागत हेतु आगे आता हैं। युद्ध बिना ही विजय पाने से विश्वभूति वापस आया, राजा को समाचार देकर उद्यान में प्रवेश के लिये पहुँचा, वहीं उद्यानरक्षकों ने उनको रोका और कहा, कुमार !
उद्यान पालक को उद्यान द्वार पर कोठा के वृक्ष से कोठा फल गिराते हुए विश्वभूति ।