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________________ प्रवेशक स्वस्छ सरोवर में प्रवेश करने हेतू पगथार बनाई जाती है। यह किताब प्रभुवीर के दश श्रावक सरोवर जैसा हि है।शीतलजल व शीतलवायु की लहरीयाँ, व श्रेष्ठकमल प्रमुख पुष्पो की श्रेणी से सरोवर की शोभा होती है, वैसे हि यह किताब में बताए गये दश महानुभाव सुश्रावको की जीवन कथा अपनी आत्मा में शैत्य पेदा करनेवाले शीतलजल व वायु की लहरीयाँ की भांती है।अनेकविध गुणपुष्पो की महक से ईनकी शोभा बनी हुई है। चरमतीर्थनायक श्रमण भगवान श्री महावीरदेव के धर्मशासनमें १४ हजार श्री गौतमस्वामी प्रमुख मुनिवर, ३६ हजार श्री आर्या चन्दनबालाश्रीजी आदि श्रमणीगण, श्रावकधर्म का श्रेष्ठपालन करनेवाले एक लाख उनसाठहजार श्रावक व तीनलाख श्राविकाए थी। इसमें से प्रभु के मुख्य १० श्रावक गीने गये है। अपार संयमी और मान-सन्मान से हरे-भरे जीवन में भी प्रभु को पाने के बाद संसार से पार पाने का तीर्व अभिलाष पाये, साधुजीवन का पालन श्रेष्ठ महत्वपूर्ण व अनिवार्य लगने पर भी आसक्ति-अशक्ति को C
SR No.002240
Book TitlePrabhu Veer ke Dash Shravak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreyansprabhsuri
PublisherSmruti Mandir Prakashan
Publication Year2008
Total Pages90
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_upasakdasha
File Size21 MB
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