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उन्होंने जयसिंह के काल (शक सं. ६६४) में समाप्त किया था। सोमदेव का यशस्तिलक चम्पू (९५६ AD) सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है। माणिक्यसूरि (सं. १३२७ से १३७५) और वासवसेन (सं. १३२०) के संस्कृत यशोधर चरित्र भी उल्लेखनीय हैं । यशोधरचरित्र (अपरनाम सुन्दरकाव्य) पद्मनाभ की अप्रकाशित कृति है जो जैन सिद्धान्त भवन आरा में सुरक्षित है । सकलकीति का यशोधरचरित्र ग्रंथ इसी शृंखला में अन्यतम महाकाव्य है। ... यशोधर की कथा पर लिखित महत्त्वपूर्ण ग्रन्थों की तालिका इस प्रकार दी जा सकती है१. यशोधर चरित्र प्रभंजनकृत (कुवलयमाला, ७७६ ई० -
पृ.३३१). २. , हरिभद्रसूरि कृत
८-९वीं शती समराइच्चकहा ३. यशोधर चन्द्रमती हरिषेण कृत
१०वीं शती कथानक वृहकथाकोश ४. यशस्तिलकचम्पू सोमदेव
१०वीं शती ५. जसहरचरिउ पुपदन्त
१०वीं शती ६. यशोधरचरित्र वादिराज
११वीं शती मल्लिषेण
११वीं शती माणिक्यसूरि
सं. १३२७-१३७५
के बीच वासवसेन
सं. १३६५ के पूर्व पद्मनाभ कायस्थ
सं. १४०२-१४२४ देवसूरि
१५वीं शती भ. सकलकीर्ति
१५वीं शती
मध्यकाल भ. कल्याणकीर्ति
सं. १४८८ भ. सोमकीति
सं. १५३६ भ. पद्मनन्दि
सं. १६वीं शती भ. श्रुतसागर
१६वीं शती भ. पूर्णभद्र
सं. १६वीं शती धनंजय
सं. १६५० ब्रह्म नेमिचन्द
१६वीं शती हेमकुंजर उपाध्याय
१६वीं शती शानदास (लुकागच्छ) सं. १६२३
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