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४.२०७]
प्राकृतव्याकरणम् ।
त्रसेर्डर - बोज-वजाः ॥ १९८ ॥
त्रसेरेते त्रय आदेशा वा भवन्ति ।! डरइ । बोज्जइ । वज्जइ । तसइ ॥
न्यसो णिम - णुमौ ॥ १९९॥
न्यस्यतेरेतावादेशौ भवतः ॥ णिमइ । णुमइ |
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पर्यसः पलोड-पल्लट्ट - पल्हत्थाः ॥। २०० ।। पर्यस्यतेरेते त्रय आदेशा भवन्ति || पलोट्टइ | पल्लट्टइ । पल्हत्थइ ।।
निःश्वसेर्झङ्खः ॥ २०१ ॥ निःश्वसेर्झङ्ख इत्यादेशो वा भवन्ति ॥ झङ्खइ । नीससइ ॥
उल्लसेरूसलोसुम्भ-पिल्लस- पुलआअ - गुजोल्लारो आः ॥ २०२ ॥ उल्लसेरेते षडादेशा वा भवन्ति ।। ऊसलइ । ऊसुम्भइ । णिल्लसइ । पुलआअइ । गुञ्जोल्लइ । ह्रस्वत्वे तु । गुल्लइ | आरोअइ | उल्लसइ ||
भासेर्भिसः ॥ २०३ ॥
भासेर्भिस इत्यादेशो वा भवति ॥ भिसइ । भासइ ॥
ग्रसेर्धिसः ।। २०४ ॥
प्रसेसि इत्यादेशो वा भवति ॥ घिसइ | गसइ ॥ अवाद्गाहेर्वाहः || २०५ ॥
'अवात्परस्य गाहेर्वाह इत्यादेशो वा भवति ।। ओवाहइ । ओगोes || आरुहेश्वड-वलग्गौ ॥ २०६॥
आरुहरेतावादेशौ वा भवतः । चडइ । वलग्गइ | आरुहइ || मुगुम्म - गुम्मडौ ॥ २०७ ॥
मुहेरेतावादेशौ वा भवतः ॥ गुम्मइ । गुम्मडइ । मुज्झइ ॥
.१ B उवा° २: B उगा .