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________________ ४०८ + निर् . निव्वुअ (निर्वृत) ५.९२. + परि.परिअरिअ (परिवृत) ६. ३१. √वृज् + वि. विवध्यद (विवर्जित) ८. २. √ वृत् कुमारपालचरिते व (वृत्त) ३. ५. वाण (वर्तमान) ७. २४, +आ. अत्तमाण (आवर्तमान) २. ८०. - आवत्तमाण २. ८०. " +नि. नियत्तसु (निवर्तस्व) ८. ७७. - नित्त (निवृत्त) १.८३. - निवृत्त १. ८३. + प्र. पयट्टेइ (प्रवर्तते) ५. ८२. - पयट्ट ( प्रवृत्त) १.४९, ८३,२. " 33 √वृष् -पयट्टअ ४. ७८. - पन्त (प्रवर्तमान) ५. ५८. +वि. विवट्टमाण (विवर्तमान) ६. १,६२,६७,७२; ३. २, ५; ४. २१, ४१, ४८, ६०, ६४; ५. १२: ६. ५२. ८०. + सम् . संवृत्त (संवृत्त) १.५१. √वृध् + परि. परिविद्ध (परिवृद्ध ) ३. १२. विट्ठ (वृष्ट) १. ८६. वुट्ठ "" १. ८५; २. ६. +प्र. पवरिसन्तु (प्रवर्षन्तु ) ७.६५. [ वृज् - वेविर वेअ (वेग) ४. २९. /वेअड P (खच्) वेअडिअ ( खचित) ६. ५४. घेई (वेदि) ४. ३२. वेइआ (वेदिका ) ४. २७; ६. ३७. वेल (विचकिल) २.१२; ३.९, ४५, ७१. वेकक्ख (वैकक्ष्य) २. ६१.६ वेग (SK) २.८९. वेजयन्ती (वैजयन्ती) ४. ३९; ६. ७० वेडिस ( वेतस ) २. ४०. वेडीकरिजमाणा (प्रवहणत्वेना श्रीयमाणा ) ७. ८६. वेडुज. (वैडूर्य) ३. ६६. १वेणु ( SK = कीचक) ५.१७. २वेणु (SK = राज विशेष ) २. ३८. वेण्ट (वृन्त) १. ८८; ३. ६. Ja वेवइ '(वेपते) ५. ६४. वेवमाण ( वेपमान) ५. १८. + प्र. पवेवए (प्रवेपते) ५. ६४. वेरि (वैरिन्) ६. ४२, ६८, ९८; ८. ६. वेरुलिअ-केसी(वैडूर्यकेशी ) ३.६६ वेलव P (व) वेलविअ ( वञ्चित) ६. ५८. वेलवणिज (उपालम्भनीय) ६.१०६. वेलिल्ल (वेलावत) ६. ७३. वेल्लि (वल्ली) १. ४०. वेवण (वैवर्ण्य) ५. १०२. वेविर (वेपनशील ) ३. . ८९.
SR No.002235
Book TitleKumarpal Charita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShankar Pandurang Pandit
PublisherBhandarkar Oriental Research Institute
Publication Year1936
Total Pages762
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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