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देवतामूर्ति-प्रकरणम् happiness and be beneficient for all tasks. (5).
भागा एकोनपञ्चाशद् गर्भार्द्ध भित्तितो भजेत् । गर्भाशो ब्रह्मसंस्थानं दैवं भागाष्टकं ततः ॥६॥ मानुष: षोडशांश: स्याच्चतुर्विंशत् पिशाचकः । दैवांशे ब्रह्मविष्ण्वंशाः सर्वे देवाश्च मानुषे ॥७॥ मातरो यक्षगन्धर्वा रक्षोभूतसुरादयः। . स्थाप्या: पैशाचवेंशे ते ब्रह्मांशे लिंगमैश्वरम् ॥८॥
इति देवता-पद-स्थानम्।
प्रासाद के गर्भ गृह के आधे का दीवार से ४९ गुनपचास भाग करना। उसमें आधे गर्भगृह का पहला भाग ब्रह्मांश, उसके आगे आठ भाग दैवांश, उसके आगे सोलह भाग मानुषांश और उसके आगे चौबीस भाग पिशाचांश है। देवांश में ब्रह्मा, विष्णु और सब देवों की स्थापना करना। मानुषांश में सप्त मातृदेवी को स्थापना करना, यक्ष गन्धर्व, राक्षस, भूत और सुर ये देव पैशाचांश में स्थापन करना और ब्रह्मांश में शिवलिंग को स्थापन करना।
Divide the wall of half the garbhgriha (the inner sanctum), into 49 portions. Of this, the first portion will be the Brahma-sthanam or the Brahma area, The next 8 portions the place of the Devas (6), the next 16 of Manusha, and the remaining 24 of Pishachas.
Brahma, Vishnu and incarnations of Vishnu should be installed in the Devansha or Deva portion. All the (other) gods may be installed in the Manushansh (or Manush portion). (7).
In the portion classified as Pishach-ansh may be placed statues of the mother-goddesses (eg. Brahmi, Maheshwari, Kaumari, Vaishnavi, Aindri, Varahi, Chamunda), and other goddesses, Yakshas,. Gandharvas, Rakshasas, Bhootsuras and others.
The Siva-linga should be installed in the Brahma-sthanam, or Brahma portion. (8). These are the placements of the statues.