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देवतामूर्ति-प्रकरणम् .
नवतालैर्भवेद् विष्णु-ब्रह्मात्मा देवतास्तथा ॥९॥ दशतालैर्भवेद् रामो बलिर्वैरोचनिस्तथा। सिद्धाश्चैव जिनेन्द्राश्च ऊर्खास्ते च प्रकीर्तिताः ॥१०॥
विष्णु, ब्रह्मा और महादेव इन देवों की मूर्तियाँ नवताल के मान से बनावे । राम, बलराम, सूर्य, सिद्ध और खड्गासन (खड़ी मूर्ति) वाला जिनेन्द्र इन देवों की मूर्तियाँ दस ताल के मान से बनावे ॥
Katyayani and the other Bhagwati goddesses should be 8 talas too, while Vishnu, Brahma and Siva should be 9 talas. (9).
___Rama, Balaram, Virochana (the Sun), and statues of standing Siddhas (those who have achieved a state of purity and holiness, are semi-divine, and are said to be characterised by 8 supernatural faculties called siddhis) as well as Jinendras (Jain Arhats and Buddhist saints), should be 10 talas. (10).
ताला एकादश स्कन्दो हनुमांश्चण्डिका तथा। भूतानां च समस्ताना-मेष ताल: प्रकीर्तितः ॥११॥
कार्तिकेय, हनुमान, चण्डिका देवी और समस्त भूत जाति के देव इनकी मूर्तियाँ ग्यारह तालं के मान से बनावे।
____ The war-god Skanda, Hanuman, goddess Chandika, and all images of the Bhoota (ghosts, spirits, goblins etc.) category should be 11 talas. (11).
ताला द्वादश वेताला राक्षसाश्च त्रयोदश । पिशाचा: क्रूरकर्माण: शस्यते मुकुटैर्विना ॥१२॥
वेताल देवों की मूर्तियाँ बारह ताल के मान से बनावे। राक्षस और पिशाच आदि. क्रूर कर्म करने वाले देवों की मूर्तियाँ मुकुट से रहित तेरह ताल की बनावे।
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ब्रह्माद्या। तालेकादश स्कंदस्तु स्वामिकार्तिकेयो पि चेत् । स्कन्दश्च हनुमानश्च माता चण्डियका तथा ।।'