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· देवतामूर्ति-प्रकरणम्
शिला लाने का मुहूर्त
सुदिने शुभनक्षत्रे शकुने शान्तचेष्टिते। प्रतिमागृहकाष्ठादि कर्म कार्यं न चान्यथा ॥११॥
इति शिला परीक्षा ॥ .. अच्छे शुभ दिन में, शुभ नक्षत्र में, अच्छे शकुन में प्रशान्त चित्त होकर प्रतिमा और घर आदि के काम के लिये काष्ठ और शिला को ग्रहण करना चाहिये। अशुभ समय में उक्त कार्य नहीं करना चाहिये ॥७॥ (Auspicious timings for obtaining stone) -
Stone and wood for making statues and for use in other work connected with temples and structures should be obtained on an auspicious day, when the planets and constellations are in: appropriately beneficial postitions, the omens are favourable and the mind is at peace. This task should never be undertaken at other (inauspicious) times. (11). .
Thus ends the description of stones. प्रासाद के मान से खड़ी प्रतिमा का मान
एकहस्ते तु प्रासादे मूर्तिरकादशाङ्गुला।। दशाङ्गुला ततो वृद्धि-र्यावद्धस्तचतुष्टयम् ॥१२॥ .. . व्यंगुला दशहस्तान्ता शतार्द्धान्ताङ्गुलस्य च । अतो विंशदशांशोना मध्यमार्चा कनीयसी ॥१३॥
एक हाथ के विस्तार वाले प्रासाद में ग्यारह अङ्गुल की खड़ी प्रतिमा रखना चाहिये। पीछे प्रत्येक चार हाथ तक के विस्तार वाले प्रासाद में दस-दस अङ्गुल बढ़ाकर रखना चाहिये ॥१२॥ पाँच से दस हाथ तक के विस्तार वाले प्रासाद में प्रत्येक हाथ दो-दो अङ्गल बढ़ाकर और ग्यारह से पचास हाथ के विस्तार वाले प्रासाद में एक-एक अङ्गुल बढ़ाकर खड़ी मूर्ति रखना चाहिये। यह ज्येष्ठमान की मूर्ति कही जाती है। इस ज्येष्ठ मान में से बीसवाँ भाग कम करने से मध्यम मान और दशवाँ भाग कम करने से कनिष्ठ मान की . मूर्ति होती