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देवतामति-प्रकरणम
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खड्गं मुद्गरपाशौ चाभयाक्षांकुशशूलकम् । खेटं धनुश्च नकुलं भुजा द्वादश कीर्तिताः ॥५३॥
अठारहवें अरनाथ तीर्थंकर के शासन में यक्षेन्द्र नाम का यक्ष है। वह शङ्ख के पर बैठा हुआ, छः मुख वाला, प्रत्येक मुख तीन नेत्र वाला, कृष्ण वर्ण वाला और बारह भुजा वाला है। प्रत्येक भुजाओं में क्रम से बीजोरा, बाण, खड्ग, मुद्र, पाश, अभय, अक्षमाला, अङ्कुश, शूल, ढाल, धनुष और न्यौला धारण करता
Lord Arnath is attended by Yakshendra. Yakshendra has a conchshell as his vahana. He has six faces, each with three eyes, and is dark in colour. He has a citron, an arrow (52), a sword, a mudgar a noose, the Abhay position, a rosary, a goad, a spear (shula), a shield, a bow and a mongoose respectively in his twelve hands. (53).
१८. धारिणी देवी
धारिणी यक्षिणी नील-वर्णा पद्मासनस्थिता। मातुलिङ्गोत्पलं चाक्ष-माला पद्मं करेषु च ॥५४॥
धारिणी नाम की यक्षिणी नील वर्ण वाली और कमल के आसन वाली हैं। वह चारों भुजाओं में क्रम से बीजोरा, उत्पल, अक्षमाला और कमल को धारण करती है। .: The yakshini Dharini is blue-hued. She is seated on a lotus
and hold a citron, a blue Utpal lotus, a rosary and a lotus in her four hands. (54).
१९. कुबेर यक्ष... मल्लौ सित: कुबेरोऽथ 'हस्त्यारूढश्चतुर्मुखः ॥
वरं पशुं शूलाभयाक्षं मुद्गरं शक्तिलुङ्गकम् ॥५५ ॥
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मु. रथारुढः ।