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देवतामूर्ति-प्रकरणम्
विशिष्ट विवेचन
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1. पद्य ९२.
शिल्परत्न के पूर्व भाग १५ वां अध्ययन श्लोक २७-२८ - अंश में जो अन्तर है, वह इस प्रकार है
तस्करो मुक्तिशक्ती च धनं राजाभिधं पुनः ।
षण्डं चैव विपच्चैव ततस्तु चलसंज्ञकम् ॥
समृद्धिरिति विख्यातान्यंशकानि नव क्रमात् ।
तस्कर, मुक्ति, शक्ति, धन, राजा, षण्ड, विपत्, सचल, और समृद्धि इस क्रम से नव अंश बतलाये हैं।
काश्यपशिल्प में अध्ययन ४० श्लोक ६१ में अंश के नाम नीचे मुजब बतलाये हैं
तस्करं भक्तिः शक्तिश्च धनं राजं च षण्डकम् ।
अभयं धनमृणं चैव नवांशकमुदाहृतम् ॥
तस्कर, भक्ति, शक्ति, धन, राज, षंड, अभय, धन और ऋण ये नव अंश
हैं । .
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