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देवतामूर्ति-प्रकरणम् मूर्ति के वाहन का उदय पैर, जानु या कटि तक करना शुभ है। जो ऊर्ध्व दृष्टिं हो तो स्थान का नाश और अधोदृष्टि हो तो प्रजा का क्षय करता है।
____The line of vision of the vahana :-It is auspicious if the. line of vision (or the glance) of an idol's attendant vahana is on the feet, knees or hips of its associated deity. Looking higher (than prescribed) causes devastation of the place/area, and looking lower leads to the destruction of the land's subjects. (170). . 'धातादिकं प्रतिगत: कलनेऽस्य रूपं,
(तत्पादयुग्ममगमदहाशो हरिहरश्च) यातौ न पारममरेष्वपि नन्दनीयमव्यक्तरूपममराधिपतेश्च पातु ॥ १७१ ॥ इति श्रीक्षेत्रात्मज-सूत्रधार-मण्डन-विरचिते वास्तुशास्त्रे रूपाक्तारे
रुद्रमूर्तिलिङ्गाधिकारो नाम षष्ठोध्यायः। हरिहर के पाद युग्म का स्वरूप निर्माण करने में धाता आदि भी असमर्थ रहे हैं, तो उनके पूर्ण स्वरूप का निर्माण करने में कैसे सफल हो सकते है ? जो इन्द्रों द्वारा वन्दनीय हैं ऐसे अव्यप्त रूपधारक अमराधिपति का रक्षण करें। श्री क्षेत्रात्मज मण्डन विरचित वास्तुशास्त्र के देवता-मूर्ति-प्रकरण का ..
___ छठा अध्याय पूर्ण हुआ। , To fabricate in totality even the feet portion of that wonderous joint form of Hari-Hara is impossible for Dhata (the Creator Brahma) and the other gods. How then, can one attempt to make images of their full form?
May the One who is worshipped by Indra and the others, and who is beyond description, provide protection to all. (171).
Here ends the sixth chapter of the treatise on architecture composed by Kshetratmaj Sutradhar Mandan, in which the forms and appearance of idols of Rudra, Siva-lingas and so forth have been discussed.
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मु. धातादिवं।