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देवतामूर्ति-प्रकरणम्
अर्द्धनारीश्वर
अर्द्धनारीश्वरं वक्ष्ये उमादेहार्द्धधारिणम्। वामाङ्गे च स्तनं कुर्यात् कणे वै तालपत्रकम् ॥ २७ ॥ व्यालका वामकर्णे तु दक्षिणे कुण्डलं स्थितम्। . मुकुटाग्रे च माणिक्यं जटाभारं स्वदक्षिणे ॥ २८ ॥.. अर्द्ध तस्य स्त्रियारूपं सर्वाभरणभूपितम्। पुरुषं दक्षिणे भागे कपालं कटिमेखला ॥२९॥ त्रिशूलं चाक्षसूत्रं च दक्षयो: करयोस्तथा। कमण्डलु दर्पणं च गणेशं वाम उच्यते ॥ ३० ॥
आधा शरीर उमा के स्वरूप को धारण करने वाला, अर्द्ध नारीश्वर देव का स्वरूप कहता हूं- दोनों कानों में तालपत्र धारण करने वाला अथवा बायें कान में कुण्डल और दाहिने कान में सांप, बाँयें भाग में माणिक लगे हुए मुकुट को और दाहिने भाग में जटा को धारण करने वाला, शरीर का बाँया भाग सब आभूषणों से सुशोभित ऐसा स्त्री के रूप का और दक्षिण भाग पुरुष के रूप का कपाल, कटि और करघनी युक्त करना, दाहिनी दो भुजाओं में त्रिशूल और अक्षमाला, बाँयी दो भुजाओं में कमंडलु और दर्पण रखना तथा गोद में. गणेश रखना।
Ardhanarishvar
I speak now of Ardhanarishvar who takes on half the form of Uma. The left part of the idol is made like a woman, with a breast. Both ears are adorned with the Talapatrak ear-ornament (a hollow cylinder of gold inserted through the ear-lobes) (27). The left ear has a snake, and the right a kundala. At the left of the head is a ruby-encrusted crown and at the right matted locks (jata) (28). The left half of the figure is like a woman, and is adorned with all the ornaments worn by women, while the right is like a man's, with a waist-band of skulls (katimekhala). (29).