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देवतामूर्ति-प्रकरणम्
There is a prescribed order for placing the above mentioned attributes or insignia in the four hands of these twenty-four different Vishnu idols. Beginning with the lower right hand (in which the first attribute listed is to be depicted), one should proceed to the upper right hand (where the second named object is placed), then to the upper left hand (for the third attribute) and, finally, to the lower left hand-thereby following the srishti-marg-the way of creation. (14).
ग्रहण करने योग्य शिला
अथ शालमामशिलापरीक्षा
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नागभोगसमाकारा शिला सूक्ष्मा च या भवेत् । पूजनीया प्रयत्नेन स्थिरा स्निग्धा च वर्तुला ॥१५ ॥
साँप के फण के आकार वाली, बारीक पोगर वाली, चपटे आकार की, चीकनी और गोल आकार की शिला पूजनीय हैं ।
Now to discuss 'Shaligrama' stones ( ammonites) :Shilas which are worthy of worship and reverence should be the shape of a snake's hood; fine-grained, flat, smooth and
glossy, and rounded. ( 15 ).
तत्राप्यामलकी माना सूक्ष्मा चातीव या भवेत् । तस्यामेव सदा कृष्णः श्रिया सह वसत्यसौ ॥१६ ॥ यथा यथा शिला सूक्ष्मा तथा तथा महत्फलम् । तस्मात् तां पूजयेन्नित्यं धर्मकामार्थमुक्तये ॥ १७ ॥
जो शिला आंवले के मान की अथवा इससे भी सूक्ष्म मान की हो, उसमें लक्ष्मी के साथ कृष्ण हमेशा निवास करते हैं । जैसे-जैसे मान सूक्ष्म हो वैसे-वैसे अधिक महान् फलदायक है। इसलिए धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष के लिये उस शिला को हमेशा पूजना चाहिए ।
If the shila is of the size of an amlaka (the fruit of the Emblic myrobalan tree; amla or aunla in modern Hindi), or even