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. . . देवतामूर्ति-प्रकरणम् (also known as 'Hansa') sect. (5).
हरिं हिरण्यगर्भं च नारसिंहमत: परम्। वामनं च वराहं च सर्ववर्णेषु सौख्यदम् ॥६॥
हरि, हिरण्यगर्भ, नरसिंह, वामन और वराह की मूर्तियाँ सब वर्ण वालों को सुखदायक हैं।
Worshipping statues of Hari, Hiranyagarbha, Narsingh, Vaman and Varalı will grant happiness and joy to people of all castes and sub-castes. (6). प्रहण और त्याग करने योग्य मूर्तियाँ
अङ्गप्रत्यङ्गभग्ना या मूर्त्तिः स्थाप्या विसर्जयेत्। .
नखाभरणमालास्त्रैर्भग्नां तां न विसर्जयेत् ॥७॥ ___ स्थापित हुई मूर्ति के अङ्ग या प्रत्यङ्ग खंडित हो जाय तो उस मूर्ति का त्याग करना चाहिये। नख, आभरण, माला या शस्त्र खंडित हो जाय तो उस मूर्ति का त्याग नहीं करना चाहिये।
A statue should be discarded if the torso, limbs or other parts of the body are damaged. However, if the damage occurs to the nails, ornaments, garlands or weapons/attributes of an idol, it is still fit to be worshipped and should not be discarded. (7). विष्णु की चौबीस मूर्तियों का स्वरूप
केशव: प-शं-च-गश्च मधुसूदनश्च-शं-प-गः ॥ संकर्षणो ग-शं-प-चै-र्दामोदर: प-श-ङ्गच: ॥८॥ वासुदेवो ग-शं-च-पैः प्रद्युम्नश्चक्र-श-ङ्गपः । विष्णुर्गदा-प-शं-चक्री माधवो ग-च-शंङ्ख पैः ॥९॥ अनुरुद्धश्च-गं-शं-प: पुरुषोत्तमश्च-पाशङ्गैः।
अधोक्षज: प-गाशं-चो जनार्दन: प-चं-शं-गः ॥१०॥ 1. मु. ५-च-शंच।