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... देवतामूर्ति-प्रकरणम् __ (vii) Kuber-Kuber, the Lord of the Northern Quarter, 'rides an elephant. He holds a mace, the nidhi receptacle
signifying Kuber's treasure-hoard, a citron (beejpurakam) and a kamandalu in his hands. (65).
८. ईशान
वरं चैव त्रिशूलं च नागेन्द्रं बीजपूरकम्। वृषारूढं प्रकर्त्तव्यमीशानं मित्रकोणके ॥६६॥ .
वरदान, त्रिशूल, सर्पराज और बीजोरा को धारण करने वाला, वृषभ (नंदी) की सवारी करने वाला और ईशान कोण का स्वामी ईशान देव है। .
(viii) Ishan-Ishan, the Lord of the North-Eastern Quarter, rides on a bull. He holds up one hand in blessing, and has a trident, a king-cobra snake, and a citron (beejpurakam) in his other hands. (66).
यस्माद् ब्रह्मा वेदविद्या: समस्ता,
आदित्याद्या: खेचरा धिष्ण्यचक्रम्। दिक्पालाद्यं व्यक्तरूपं च जातं, वन्द्यो विष्णुर्विश्वसृक्. पालकोऽसौ ॥६७॥ . .
इति श्रीक्षेत्रात्मज-सूत्रभृन्मण्डनविरचिते वास्तुशास्त्रे देवतामूर्ति-प्रकरणे
रूपावतारे ब्रह्म-सूर्य-नवग्रह-दशदिक्पालाधिकारश्चतुर्थोऽध्यायः ।
जिससे ब्रह्मा वेदविद्या सूर्य आदि समस्त ग्रह, नक्षत्र और दिक्पाल आदि प्रत्यक्ष रूप हुए। ऐसे महान जगत का पालने करने वाले विष्णु भगवान वंदनीय हैं। ६७। श्रीक्षेत्रसूनु सूत्रधार मण्डन विरचित देवता-मूर्ति-प्रकरण का ..
चौथा अधिकार पूर्ण हुआ।
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मु. (मित्र ? मन्त्रि) कोणके।