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देवतामूर्ति-प्रकरणम्
सर्वे च पुरुषाकारा: कर्तव्या: शान्तिमिच्छता।
चतुरिषु च स्थाप्या दिशाञ्चैव प्रदक्षिणे ॥४१॥
दण्डी, पिंगल, आनन्द, अंतक, चित्र, विचित्र किरणाक्ष और सुलोचन ये आठ सूर्य के प्रतीहार (द्वारपाल) हैं। सुख शान्ति को चाहने वाले पुरुष इन आठों द्वारपालों की मूर्तियाँ पुरुषाकार बनावे और पूर्वादि प्रदक्षिण क्रम से चारों द्वार पर स्थापन करें।
___ The eight door-keepers of Surya are Dandi, Pingal, Anand, Antak, Chitra, Vichitra, Kiranaksha. and Sulochan. (40). Those who desire happiness and peace should have statues of these cight door-keepers constructed and installed (according to the order of circumambulation) at the four portals of a Sun temple. These statues should be 'Purushakara’ or like a human in form and dimension. (41).
पूर्वदिशा के द्वारपाल-. ..
प्रतर्जन्यूर्ध्वकिरणं ताम्रचूडं दण्डायुधम् । दण्डी वामविभागे तु पिङ्गल: स्यादत: शृणु ॥४२॥ . किरणे तु यदा शक्ति: किरणं ताम्रचूडके। तर्जनी दण्डपूर्वं च पिङ्गल: पूर्वदक्षिणे ॥४३ ॥
ऊपर की हुई तर्जनी, किरण के आकार का शस्त्र, ताम्रचूड नाम का शस्त्र और दण्ड इनं आयुधों को धारण करने वाला, पूर्व दिशा में बाँयी ओर दण्डी नाम का द्वारपाल है।
किरण के स्थान में शक्ति और ताम्रचूड के स्थान में किरण को तथा तर्जनी और दंड पूर्ववत् धारण करने वाला, पूर्व दिशा में दाहिनी ओर पिंगल नाम का द्वारपाल है।
The dvarapala watching over the left side of the eastern entrance is called Dandi. Dandi has a raised finger (tarjani), and bears a kiran or ray, a Tamrachuda weapon and the danda rod of justice and law in his hands. (42).