________________
देवतामूर्ति-प्रकरणम्
4
चतुर्थोध्यायः।
विश्वकर्मा
अक्षसूत्रं पुस्तकं च कमण्डलुवरान्वितः। विश्वकर्मा चतुर्हस्तश्विनेत्रश्चन्द्रशेखरः ॥१॥
विश्वकर्मा चार हाथ वाले हैं, इन हाथों में क्रमशः, माला, पुस्तक, कमंडलु और वरदमुद्रा है। तीन नेत्र और जटायें चन्द्रमा है ॥१॥
Vishvakarma holds an akshasutra (a rosary or string of prayer-beads), a book and kamandalu-the earthen or wooden water-vessel used by ascetics, in three hands, while the fourth is in the varad-mudra or 'the position of blessing. Vishvakarma has four hands and three eyes, and the moon ornaments his hair. (1).
कमलासन
ऋग्वेदादिप्रभेदेन कृतादियुगभेदतः। विप्रादिवर्णभेदेन चतुर्वक्त्रं चतुर्भुजम् ॥२॥ अक्षसूत्रं करे दक्षे स्रुचिस्तस्योर्ध्वत: स्थिता। स्याद् वामे पुस्तकं हस्ते तस्योर्ध्वं च कमण्डलुः ॥३॥