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________________ श्री नेमिनाथ-चरित * 341 गया और वे लोग उसकी खोज करते हुए उसी उद्यान में जा पहुँचे, जिस उद्यान में सागरचन्द्र के साथ उसका ब्याह हुआ था। वहां सब यादव विद्याधरों का रूप धारण कर आनन्द से बैठे हुए थे और उन्हीं के बीच में कमलामेला भी बैठी हुई हँस रही थी। यह हाल देखकर सब लोग कृष्ण के पास गये और उनसे इस विषय की शिकायत करते हुए कहने लगे कि—“महाराज! विद्याधरों का एक दल कमलामेला को हरण कर ले गया है, इसलिए आप उसका उद्धार करने की कृपा कीजिए।" विद्याधरों की धृष्टता का यह हाल सुनकर कृष्ण को उन पर बड़ा ही क्रोध आया इसलिए वे उसी समय उन लोगों के साथ उस उद्यान में जा पहुंचे। क्योंकि वे ऐसा अन्याय कदापि सहन न कर सकते थे। उन्होंने वहां पहँचते ही उन विद्याधर वेशधारी. यादवों को युद्ध करने के लिए ललकारा। इससे यादवगण भयभीत हो कांपने लगे। शाम्ब अपना रूप प्रकट कर कमलामेला और सागरचन्द्र सहित कृष्ण के चरणों पर गिर पड़ा। यह देखकर कृष्ण चकित हो गये। उन्होंने शाम्ब से कहा-"अरे तूने यह क्या किया ? नभसेन तो हम लोगों का आश्रित है। उसे इस तरह धोखा देकर तूने अच्छा काम नहीं : किया।" ... इस प्रकार शाम्ब के कार्य की निन्दा करने के बाद कृष्ण ने नभसेन को समझाया, कि शाम्ब ने यह कार्य अवश्य बेजा (बुरा) किया है, परन्तु जो होना था वह हो चुका। अब शाम्ब को क्या किया जाय, खैर! अब तुम संतोष करो। तुम्हारा ब्याह शीघ्र ही किसी दूसरी कन्या के साथ कर दिया जायगा।" ..'. इस प्रकार नभसेन को सान्त्वना दे, कमलामेला को सागरचन्द्र के घर भेज दिया। नभसेन को यह बहुत ही बुरा लगा। परन्तु शक्ति और सामर्थ्य हीन होने के कारण सागरचन्द्र से बदला लेना संभव न था। इसलिए वह उस दिन से उसके छिद्रान्वेषण कर उसी में सन्तोष मानने लगा। .. इधर प्रद्युम्न की वैदर्भी नामक स्त्री ने अनिरुद्ध, नामक एक सुन्दर पुत्र .. को जन्म दिया, जो यथासमय यौवन को प्राप्त हुआ। ____उस समय वैताढ्य पर्वत पर शुभनिवास नामक नगर में महाबलवान और महामानी बाण नामक एक राजा राज्य करता था। उसके अत्यन्त रूपवती
SR No.002232
Book TitleNeminath Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayanandvijay
PublisherRamchandra Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages434
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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