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________________ पूर्व तक रहे। फिर निर्वाण- समय नजदीक जान समेत शिखर पर्वत पर आये। वहां एक मास का अनशन व्रत लेकर वैशाख सुदि ८ के दिन पुष्प नक्षत्र में मोक्ष गये। इंद्रादि देवों ने मोक्ष कल्याणक किया उनके साथ एक हजार मुनि भी मोक्ष में गये। अभिनंदन स्वामी ने, कौमारावस्था में साढ़े बारह लाख पूर्व, राज्य में आठ पूर्वांग सहित साढ़े छत्तीस लाख पूर्व और दीक्षा में आठ पूर्वांग कम एक लाख पूर्व इस प्रकार कुल पचास लाख पूर्व की उम्र भोगी और वे मोक्ष में गये। उनका शरीर ३५० धनुष्य ऊंचा था। . संभवनाथ स्वामी के निर्वाण के बद दस लाख करोड़ सागरोपम बीते तब अभिनंदन नार्थ का निर्वाण हुआ। अभिनन्दन जिन तीरथ. थापे, भव्यजनों के दुःख दर्द कापे ॥ अन्तिम समय में आप पधारे, आनन्द कूट पर शिवपद पावें॥ .. . बलात्कार. से धर्म ____ एक सेठ को ससुराल जाना था। एक बैलगाड़ीवाले को बुलाया। भाड़ा नक्की किया पर साथ में उसने कहा मुझे वहाँ गुड की राब पीलानी पड़ेगी। सेठ ने कबुल किया। सेठ सपरिवार गाड़ी में बैठकर चले। ससुराल जाने पर भोजन के समय में ससुरालवालों ने जमाई राज बहुत दिनों से आये थे। इसलिए दूधपाक पूरी का भोजन बनाया था। गाड़ीवान को भोजन के समय भोजन के लिए बुलाने पर उसको दूधपाक पीरसने पर वह सेठ को गुडराब की शरत याद करवाने लगा। सेठ ने दो बार कहा भाई गुड़राब से भी यह स्वादिष्ट एवं उत्तम है। वह मना करने लगा तब सेठ ने उसके मुंह में जबरन दूधपाक रेड़ा, वह उसके स्वाद को चखकर गुड़राब भूल गया। वैसे ही बाल जीवों को बलात्कार से भी धर्म करवाया जाय तो वह भी गुणकारी होता है। : श्री तीर्थंकर चरित्र : 69 :
SR No.002231
Book TitleTirthankar Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayanandvijay
PublisherRamchandra Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages360
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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