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________________ १२ ४५८ २२-1 अट्टम छट्ट भद्र प्रतिमा महाभद्र प्रतिमा सर्वतोभद्र प्रतिमा ३५१ ४१६५० महावीर स्वामी के शासन की स्थापना :- .. महावीर स्वामी को केवलज्ञान होने के बाद पहले दिन उन्होंने जो देशना दी वह निष्फल गयी। वहां से विहार कर प्रभु अपापा नामक नगर में आये। वहां शहर के बाहर महसेन वन में देवताओं ने समवसरण की रचना की। बत्तीस धनुष ऊंचे चैत्यवृक्ष के तीन प्रदक्षिणा दे, 'तीर्थायनमः' कह आर्हती मर्यादा के अनुसार प्रमु सिंहासन पर बिराजे। नर, देव, पशु सभी अपने अपने स्थानों पर बैठे। फिर महावीर स्वामी ने संसारसागर से तैरने का मार्ग बताया। अनेक भव्य लोगोंने उस मार्ग पर चलना स्थिर किया। उन्हीं दिनों सोमिल नाम के एक धनिक ब्राह्मण ने अपापा में यज्ञ 1. तप २२९ हैं परंतु पारणे २२८ ही हुए हैं। इसका कारण यह है कि आखिरी छ? तप का पारणा केवलज्ञान होने बाद किया था। 2. प्रतिमाओं में दो पारणे अधिक माने गये हैं। परंतु ऐसा किये बिना दिनों का हिसाब नहीं बैठता। गुजराती महावीर स्वामी चरित्र के लेखक श्री नंदलाल लल्लुभाई ने भी ३५० पारणे ही माने हैं। यह संख्या तीस दिन का महीना मानकर दी गयी है। 3. आजकल यह शंका स्वाभाविक उत्पन्न होती है कि, मनुष्य अन्नजल के बिना जी कैसे सकता है। बेशक निर्बल मनवालों के लिए यह बहुत कठिन बात है। जहां एक बार भूखा रहना भी बहुत कठिन मालूम होता है वहां इतने उपवासों की कल्पना भी कैसे की जा सकती है; परंतु अन्य धर्मों के ग्रंथ और वर्तमान के उपवासचिकित्सा शास्त्री कहते हैं कि यह कोई कठिन बात नहीं है। : श्री महावीर चरित्र : 256 :
SR No.002231
Book TitleTirthankar Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayanandvijay
PublisherRamchandra Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages360
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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