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Uvavaiya Suttam Si 19 वह इत्वरिक क्या है ?-कितने प्रकार का है ?
इत्वरिक तप अनेक प्रकार का बतलाया गया है। जैसे चतुर्थ भक्त -एक दिन-रात के लिये आहार का त्याग करना (उपवास), षष्ठ भक्त-दो दिन-रात के लिये आहार का त्याग, निरन्तर दो उपवास (बेला), अष्टम भक्त–तीन उपवास (तेला), दशम भक्त-चार दिन के उपवास (चौला), द्वादश भक्त-निरन्तर पाँच दिन के उपवास, चतुर्दश भक्त-छः दिन के उपवास, षोडश भक्त -सात दिन के उपवास, अर्द्धमासिक भक्त-पन्द्रह दिन के उपवास (आधे महीने), मासिक भक्त-एक महीने तक निरन्तर-उपवास (मास खमण), द्वैमासिक भक्त-निरन्तर दो महीने के उपवास, त्रैमासिक भक्ततीन महीने के उपवास, चातुर्मासिक भक्त-चार महीने के उपवास, पाञ्चमासिक भक्त–पाँच महीनों के उपवास, पाण्मासिक भक्त-छः महीनों के उपवास, यह ऐसा इत्वरिक तप है।
What is abstension from food intake for a certain period of time ?
It has many forms, such as, giving up four meals, six meals, eight meals, ten meals, twelve meals, fourteen meals, sixteen meals, fasting for a month, for two months, three, four,
five, six months. Such is abstension from food intake for a -certain period or itvarika type of external penance.
से किं तं आवकहिए ?
आवकहिए दुविहे पण्णत्ते। तं जहा–पाओवगमणे अ भसपच्चक्खाणे अ।
वह यावत्कथिक क्या है ? उसके कौन-कौन से प्रकार हैं ?
यावत्कथित के दो भेद कहे गये हैं। जैसे कि पादपोपगमन-कटे हुए वृक्ष के समान स्थिर शरीर रहकर आजीवन आहार का त्याग और भक्त प्रत्याख्यान-जीवन पर्यन्त आहार का त्याग करना।