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उववाइय सुत्तं सू० १२..
411 स्वरूप पट्टी, केयूर-भुजबन्ध, मुकुट, कुण्डल, और हार से सुशोभित बना हुआ वक्षस्थल' सहसा कम्पित हो उठे। लम्बी लटकती हुई माला और हिलते हुए भूषणों के धारक राजा आदरपूर्वक जल्दी-जल्दी सिंहासन से उठा, सिंहासन से उठकर पादपीठ-पैर रखने के पीढे पर पैर रखकर नीचे उतरा। नीचे उतर कर पादुकाएं उतारी। पादुकाओं को उतार कर पांच राज चिन्हों को दूर किये। वे इस प्रकार हैं-(१) खड्ग, (२) छत्र, (३) मुकुट, (४) वाहन, (५) चामर। एक साटिक उत्तरासंग किया। उत्तरासंग करके, जल स्पर्श से मैल-रहित, अति स्वच्छ परम शुचिभूत - अति शुद्ध हुआ । कमल की कली के समान हाथों को संपुटित किया-हाथ जोड़े। जिस ओर तीर्थकर ( भगवान महावीर ) विराजमान थे उस ओर मुख करके सातआठ कदम सामने गया। सात-आठ कदम जाकर अपने बायें घुटने को आकुंचित किया-सिकोड़ा। बायें. घुटने को संकुचित-सिकोड़ कर के दाहिने घुटने को भूमितल' पर टिकाया और तीन बार अपने सिर को पृथ्वीतल से लगाया। (तीन बार अपने सिर को जमीन से ) लगाकर वह कुछ ऊपर उठा। ऊपर उठ कर कंकण-कड़े और बाहुरक्षिका-तोडे से सुस्थिर बनी हुई भुजाओं को उठाया, ( भुजाओं को ) उठा कर हाथ जोड़ते हुए, उन्हें सिर के चारों ओर घुमाते हुए-घुमाकर इस प्रकार बोला :
On getting this information from his chief information-- officer and welcoming it in his heart, king Küņika, son of Bhambhasāra, became immensely pleased. Like the best of lotus, his eyes beamed. His bangles, bracelets, armlets, crown, ear-rings and the garlands on his chest began to shake. With a long garland hanging from his neck and with his shaking: ornaments, the king at once stood up from the throne, and then with the support of the footstool, he descended to the ground. Then he discarded his slippers and removed his royal insignia ( viz., sword, umbrella, crown, vehicles, and camara).. He wore a shoulder-piece ( wrapper ), used water to makehis hands spotlessly clean, and then folding his palms, which looked like a bud of lotus, he turned his face in the direction. in which the Tirthankara was camped. Then he moved seven, or eight steps forward, contracted his left leg, folded the: