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उववाइय सुत्तं सू०
से निकलते हुए रेशों के समान कोमल, सुलझे हुए, स्वच्छ, पतले, मुलायम, सुरभित, सुन्दर, भुजमोचकरत्न, भृंग कीट, नील-विकार, काजल, अत्यन्त हर्षित भ्रमरवृन्द के समान चमकीले, काले, घने, घघराले, छल्लेदार बाल उनके मस्तक पर थे । केश के समीप में, केश के उत्पत्ति के स्थान की त्वचा अनार के फूल तथा लाल सोने के समान प्रभायुक्त, लाल, निर्मल और उत्तम तेल से सिञ्चित -सी थी ।
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His head was solid, well-set with sinews and nerves, marked with good signs, bearing the shape of the crest of a mountain or a round stone. Soft like cotton freshly rushing out of a ripe simula fruit, thick hairs, well arranged, thick, clean, shining, with good signs, scented and graceful, looked like a gem called bhuja-mocaka, or an insect called bhriga, or nila-vikāra, or collyrium, or a happy drone, pitchy, wavy and curly. The skin on the sculp where stood the hairs was red like a pomegranate flowers, pure like red ( burnt ) gold and looked glazy as if just rubbed with oil.
घण-निचिय छत्तागारुत्तमंगदेसे णिव्वण-सम- लट्ठ - मट्ठ-चंदद्धसमपिडाले उडुवइ - पडिपुण्ण सोम-वयणे अल्लीण-पमाण- जुत्त-सबणे सुसवणे पीण - मंसल कवोल - देसभा आणामिय-चाव- रुइल- किण्हब्भराइ-तणु-कसिण- णिद्ध-भमुहे अवदालिअ-पंडरिय- यणे कोआसिअ - धवल-पत्तलच्छे गरुलायत-उज्जु-तुंग-णासे उवीचअ - सिल-प्पवाल बिबफल-सणिभाहरो पंडुर-ससि-सअल - विमल - णिम्मल - संख - गोक्खीर- फेण-कुंददगर य-सुणालिआ - धवल - दंतसेढी अखंड - दंते अप्फुडिअ - दंते अविरल - दंते सुणिद्ध - दंते सुजाय - दंते एगदंत - सेढीविव अणेग - दंते हृयवहणिर्द्धत-घोय-तत्त-तवणिज्जरत्त- तल-तालु जीहे
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अवट्टिय-सुवि
भत्त-चित्त- मंसू मंसल - संठिय-पसत्य सद्दल- विउल - हणूए ।
उनका उत्तमांग (सिर ) - मस्तक का ऊपरी भाग सघन, भरा हुआ तथा छत्राकार था। उनका ललाट फोड़े-फुन्सी आदि के घाव से रहित समतल,