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. Uvavāiya Suttam Su. 9
था जो भगवान के प्रत्येक दिन सम्बन्धी प्रवृत्ति के बारे में राजा को निवेदन करता था । उस पुरुष के अन्य अनेक व्यक्ति भगवान की प्रवृत्ति ( विहार. क्रम ) के निवेदक थे । जिन्हें दैनिक आजीविका एवं भोजन रूप वेतन पर नियुक्त कर रक्खा था । वे भगवान की प्रत्येक दिन की प्रवृत्ति के सम्बन्धमें उसे निवेदन करते थे ||८||
King Kūņika had appointed an officer on a very high salary and emoluments whose duty was to report to the king about the day-to-day activities ( movements) of Bhagavān Mahavira. This officer had under him a vast network of intelligence men who were paid both in cash and in kind, to meet the cost of their living. They were entrusted with the duty of collecting full information (about Bhagavan Mahavira) and reporting it (to their boss). (These reports kept the chief intelligence officer informed about the spiritual activities of Bhagavān Mahāvira.) 8.
कूणिक की राजसभा
King's Court
तेणं कालेणं तेणं समएणं कोणिए राया भंभसार - पुत्ते बाहि-रियाए उवट्ठाणसालाए. अणेग- गणनायग-दंडनायगं - राईसर - तलवरमांडबिअ - कोडंबिअ-मंति- महामंति- गणग- दोवारिअ -अमच्च चेड पीढमद्द-नगर-निगम-सेट्ठि-सेणावइ - सत्यवाह - दूत - संधिवाल-सद्धि संपरिवुडे विरइ ||९||
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उस काल, उस समय में भंभसार का पुत्र राजा कूणिक बहिर्वर्ती राजसभा भवन में अनेक गण-नायकों ( विशिष्ट मानवों के अधिनेताओं ), दण्ड-नायकों ( तन्त्र के रक्षकों ), मांडलिक नरपतियों, युवराजों, राज्य सम्मानित नागरिकों, जागीरदारों, बड़े परिवारों के प्रमुख व्यक्तियों, मन्त्रियों, महामन्त्रियों, ज्योति