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________________ Uvavāiya Suttaṁ Sū. 7 सोमाकार-कंत-पिय-दंसणा सुरूवा करयल-परिमिअ-पसत्थ-तिवलियवलिय-मज्झा कुंडलुल्लिहिअ गंडलेहा कोमुइ-रयणियर-विमलपडिपुष्ण-सोम-वयणा सिंगारागार-चारुवेसा-संगय-गय-हसिअ-णिअविहिअ-विलास-सललिअ-संलाव-णिउण-जुत्तोवयार-कुसला पासादीआ दरिसणिज्जा अभिरूवा पडिरूवा। कोणिएणं रण्णा भंभसार-पुत्तणं सद्धिं अणुरत्ता अविरत्ता इ8 सद्द-फरिस-रस-रूव-गंधे पंचविहे माणुस्सए कामभोए पच्चणुभवमाणी विहरति ।।७॥ .. उस राजा कूणिक की धारिणी नाम की रानी थी। उसके हाथ-पर सुकोमल थे। उसकी पाँचों इन्द्रियाँ और शरीर अहीन-रचना की दृष्टि से अखण्डित एवं प्रतिपूर्ण-सम्पूर्ण अर्थात् अपने-अपने विषय में सक्षम थीं। वह लक्षण-सौभाग्यसूचक हस्त रेखाएँ, व्यञ्जन-तिल, मस आदि विशिष्ट चिह्न, गुण-पातिव्रत्य, सदाचार आदि से युक्त थी। शरीर का फैलाव ( माप) वजन और आकार-विस्तार की दष्टि से वह परिपूर्ण, श्रेष्ठ बने हुए समस्त अंगवाली सुन्दरी थी। उसका आकार-स्वरूप चन्द्रमा के समान सौम्य और दर्शन कमनीय व प्रिय था। वह अत्यन्त रूपवती थी। उसके शरीर का मध्य भाग-कमर हथेली के विस्तार जितनी अर्थात् बहुत पतली और पेट पर पड़ने वाली मुड़ी हुई उत्तम तीन रेखाओं से युक्त थी। उसके कपोलों ( गालों ) की रेखाएँ कुण्डलों के द्वारा सुशोभित थीं। उसका मुख शरत्पूर्णिमा के चन्द्रमा के समान निर्मल, परिपूर्ण और सौम्य था। शृङ्गार रस के आगार ( आवास स्थान ) के समान उसकी सुन्दर वेश-भूषा थी। उसकी चाल, हँसी, बोली, कृति, शारीरिक चेष्टाएँ एवं नेत्र चेष्टा समुचित थीं। वह लालित्यपूर्ण संलाप–वार्तालाप करने में निपुण थी। और समुचित लोक-व्यवहार में कुशल थी। अतएव वह चित्त को प्रसन्न करने वाली, देखनेयोग्य, मन को अपने में रमा लेने वाली, और मन में बस जाने वाली थी। वह भंभसार के पुत्र कूणिकराजा के साथ प्रीति रखती थी, राजा के द्वारा अप्रिय-प्रसंग आने पर भी विरक्त नहीं होती थी, और इष्ट शब्द-संगीत आदि, स्पर्श-वस्त्र, आभूषण, शय्या, मर्दन आदि, रस-खाद्य-पदार्थ, रूप-नाटक आदि, गन्ध-फूल, इत्र, धूप आदि ये पाँच प्रकार के मनुष्य-सम्बन्धी काम भोगों को पुनः-पुनः भोगती हुई रहती थी॥७॥
SR No.002229
Book TitleUvavaia Suttam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGanesh Lalwani, Rameshmuni
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1988
Total Pages358
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_aupapatik
File Size20 MB
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