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- Uvavaiya Suttam Su. 2 कला दिखाने वाले, कुश्ती करने वाले, मुष्टि प्रहार करने वाले, विदूषक, उछलने वाले या नदी आदि को तिरने वाले, कथावाचक, रासकों के आलापक, भविष्य बताने वाले, बाँस के अग्रभाग पर खेल दिखाने वाले, चित्रपट दिखलाने वाले, तूण नामक वाद्य बजाने वाले, तुम्ब नामक वीणा बजाने वाले, पुजारी अथवा भोगी-विलासी, भाटा, यशोगान के गायकों से युक्त था। बहुत से नागरिकों और जनपदवासियों में उसकी कीर्ति फैली हुई थी। बहुत से दानियों और पूजकों के लिये वह आह्वान करने योग्य, विशिष्ट रीतियों ( विधान ) से आह्वान करने योग्य, चन्दन आदि सुगन्धित द्रव्यों से अर्चना करने योग्य, स्तुति द्वारा वन्दन करने योग्य, नमस्कार करने योग्य, पूजा करने योग्य, सत्कार करने योग्य, मन से सम्मान देने योग्य, कल्याण, मंगल, देव और इष्ट (दैवी शक्ति ) के रूप में विनयपूर्वक विशेष रूप से उपासना करने योग्य, दिव्य, सत्य और अपने आराधकों को सफल करने वाला या वांछित उपायों को सत्य बनाने वाला, दिव्य प्रातिहार्य-अतिशय व अतीन्द्रिय प्रभाव से युक्त, हजारों प्रकार की उपासना अर्थात् पूजा को चाहने वाला था। बहुत से जन पूर्णभद्र चैत्य पर आकर के उस पूर्णभद्र चैत्य की अर्चना-पूजा करते थे ॥ २॥
The temple was decorated with heaps of flowers of sundry colours which bad grace and fragrance. It was delighted by the burning of the best of incences like agara, kundurukka and turukka. It was always scented with delightful essences. The profusion of incensed smoke was so heavy that as it moved up, it created circles. The temple was always visited by stage-players, dancers, till vinā-players, charmers and bards. Its great fame spread far and wide both among city-dwellers and country-dwellers from mouth to mouth. To many, the temple was worthy to be remembered, worthy to be recalled in an appropriate manner, worthy to be decorated with scented objects like sandal paste, worthy of singing in praise, worthy to be honoured by bending the limbs, worthy to be offered flowers and clothes, worthy to be worshipped with devotion, worthy to be revered as the embodiment of what is good, of welfare, of divinity, of one's