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उववाइय सुत्तं सू० २ .
deep appreciation of the temple to extol it. The temple had a vast endowment of property. It provided food to its incumbents and administered even justice. It was decorated with a canopy, banner, bells and many flags, big as well as small." It had feathery cushions and elevated platforms (to serve as seats). The ground was neatly besmeared with cowdung and other objects. The walls were made white and bright with chalk and lime. On the walls were printed five fingers or whole palms dipped in gorocana and red sandal paste. There were sacred jars placed at appropriate places. Portions of the doors were decorated with small jars and torana. Long garlands of 'flowers connected the ceiling with the ground.
पंच-वण्ण-सरस-सुरहि-मुक्क-पुप्फ-पुंजोवयार-कलिए कालागुरुपवर-कुंदुरुक्क-तुरुक्क-धूव-मघ-मघंत-गंधु द्धयाभिरामे सुगंघ-वर-गंधगंधिए गंधवट्टिभूए णड-गट्टन-जल्ल-मल्ल-मुट्ठिय-वेलंबग-पवग-कहगलासग-आइक्खग-लंख-मंख-तूणइल्ल-तुव-वीणिय-भुयग-मागह-परिगए बहु-जण-जाणवयस्स विस्सुय-कित्तिए बहुजणस्स आहुस्स आहुणिज्जे पाहुणिज्जे अच्चणिज्जे वंदणिज्जे नमसणिज्जे पूयणिज्जे सक्कारणिज्जे सम्माणणिज्जे कल्लाणं मंगलं देवयं चेइयं विणएणं पज्जुवासणिज्जे दिव्वे सच्चे सच्चोवाए सण्णिहिय-पाडिहेरे जागसहस्स-भाग-पडिच्छए बहुजणो अच्चेइ आगम्म पुण्णभदं चेइयं पुण्णभई चेइयं ॥२॥
पंचरंगी ताजे फूलों के ढेर के ढेर वहाँ चढ़ाये हुए थे, जिससे वह शोभित था। काले अगरु, श्रेष्ठ कुन्दुरुक, लोबान तथा धूप की मघमघाती महक से युक्त गन्ध के द्वारा वहाँ का वातावरण सौरभमय और मनोज्ञ था, उत्कृष्ट सौरभ से सुवासित रहता था, सुगन्धित धुएँ की प्रचुरता से वहाँ गोल-गोल धूममयी गुटिकाएँ ( छल्ले )-सी बन रही थीं। वह चैत्य ( व्यन्तरायतन ) नाटक दिखाने वाले, नाचने वाले, रस्सी आदि पर चढ़कर