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Uvavaiya Sutam Si. Sta.
सिद्ध अन्तिम भव की अवगाहना से तिहाई - तीसरा भाग जितनी कम अवगाहना से युक्त होते हैं । जो जरा- वार्धक्य - बुढ़ापा तथा मृत्यु से सर्वथा मुक्त हो गये हैं- बिल्कुल छूट गये हैं, उन का संस्थान - आकार किसी भी लौकिक आकार से नहीं मिलता है ॥८॥
इत्थं - इस प्रकार थं स्थित, अणित्थं थं - इस प्रकार के आकारों में नहीं रहा हुआ हो ऐसा ।
The Siddhas are less by one-third,
Of the size they had before death,
The shape of one who has no age nor death,
Is never the same as that of a worldly being. 8
जत्य य एगो सिद्धो तत्थ अनंता भवक्ख विमुक्का । अण्णोष्णसम्बगाढा पुट्ठा सव्वे य लोगंते ||९||
जहाँ एक सिद्ध हैं, वहाँ भव क्षय - - जन्म - मृत्यु रूप संसार - आवागमन के सर्वथा नष्ट हो जाने से मुक्त हुए अनन्त सिद्ध हैं, जो परस्पर- अवगाढएक-दूसरे में मिले हुए हैं और वे सभी लोकान्त-लोक के अग्र भाग का संस्पर्श किये हुए हैं ॥९॥
Where there is a liberated soul,
There is an infinite number more,
Freed from death, saturated in unconceived end, They touch the end of the universe. 9
फुसइ अणते सिद्धे सव्व एसेहिं नियमसो सिद्धा । तेवि असंखेज्जगुणा देसपएसेहि जे पुट्ठा ||१०||