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उववाइय सुत्तं सिद्धस्त०
सिद्धों की मध्यम अवगाहना चार हाथ तथा तिहाई-तीसरा भाग कम एक हाथ ( सोलह अंगुल ) होती है। ऐसा सर्वज्ञों द्वारा भाषित है ॥६॥
इस का अभिप्राय यह है कि जिन की देह की अवगाहना सात हाथ परिमाण होती हैं, उन की यह अवगाहना बतलाई गई है।
The medium size of a perfected soul, As stated by the omniscients, Is said to be four cubits in length, Plus one-third less in a cubit more. 6
एक्का य होइ रंयणी साहीया अंगुलाई अट्ठ भवे । एसा खलु सिद्धाणं जहण्णओगाहणा भणिया ॥७॥
. सिद्धों की जघन्य-कम से कम अवगाहना एक हाथ तथा आठ अंगुल अधिक होती है। ऐसा सर्वज्ञों ने निरूपित किया है ॥७॥
- इस का तात्पर्य यह है कि सिद्धों की यह जघन्य अवगाहना का निरूपण कूमपुत्र आदि की अपेक्षा से है, जिन की देह की अवगाहना दो हाथ-परिमाण होती है।
The minimum size of a perfected soul, Is said to be a cubit and eight fingers more. 7 ..
ओगाहणाए सिद्धा भवत्तिभागेण होइ परिहीणा । संठाणमणित्यंथं जरामरण विप्पमुक्काणं ।।८।।