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Uvavaiya Suttan Si. 41 pride, attachment, greed, lust, aversion, quarrel, rejection, slander, speaking ill of others, restlessness and non-restlessness, false-hood and the thorn of wrong faith by their mind, words and body, but not for their whole life.
एकच्चाओ आरंभसमारंभाओ पडिविरया जावज्जीवाए . एकच्चाओ अपडिविरया। एकच्चाओ करणकारावणाओ पडिविरया जावज्जीवाए एकच्चाओ अपडिविरया। एकच्चाओ पयणपयावणाओ पडिविरया जावज्जीवाए एकच्चाओ पयणपयावणाओ अपडिविरया।
अंशतः स्थूल रूप में जीवन भर के लिये आरम्भ-समारम्भ से प्रतिविरत-निवृत होते हैं, अंशतः. सूक्ष्म रूप. से अप्रतिविरत-अनिवृत्त होते हैं। वे अंशतः स्थूल रूप में जीवन भर के लिये किसी क्रिया के करने-कराने से निवृत होते हैं, और अंशतः सूक्ष्म रूप से अनिवृत्त होते हैं। वे जीवन भर के लिये अंशतः स्थूल रूप से पकाने, पकवाने से विरत होते हैं। अंशतः सूक्ष्म रूप से अविरत होते हैं। .
Who desist in part from slaughter and from causing slaughter and in part do not desist, who desist in part from action and instigating action and in part do not desist, who desist in part from cooking and ordering others to cook and in part do not so desist, and like that for life. .
एकच्चाओ कोट्टणपिट्टणतज्जणतालणवहबंधपरिकिलेसाओ पडिविरया जावज्जीवाए एकच्चाओ अपडिविरया। एकच्चाओ व्हाणमद्दणवण्णगविलेवणसद्दफरिसरसरूवगंधमल्लालंकाराओ पंडिविरया जावज्जीवाए एकच्चाओ अपडिविरया।