________________
उववाइय सुत्तं सू० ४०
245 the monk, kept aside for self, especially prepared for self; prepared for intake while crossing through a forest, prepared for beggars, prepared for famine stricken, prepared for some relative to come, prepared for a patient and prepared for the poor during a cloudy day. Amvada does not eat roots, till seeds, nor enjoy, nor desire to get.
अम्मडस्स णं परिव्वायगस्स चउबिहे अणत्थदंडे पच्चक्खाए : जावज्जीवाए । तं जहा अवज्झाणायरिए पमायायरिए हिंसप्पयाणे पावकम्मोवएसे। .
अम्बड़ परिव्राजक ने जीवन भर के लिये चार प्रकार के अनर्थदण्ड –बिना प्रयोजन की जाने वाली हिंसा और अशुभ कार्यों का परित्याग किया। जो इस प्रकार है : (१) अपध्यानाचरित--इसका अर्थ है दुश्चिन्तन, यह चिन्तन दो प्रकार का है--आर्तध्यान तथा रौद्र ध्यान। (२) प्रमादाचरित--अपने धर्म,. कर्तव्य तथा दायित्व के प्रति जागरूक न रहना 'प्रमाद' है, दूसरों की निन्दा करना, अश्लील बातें करना, गप्पें मारना ये सभी प्रमादाचरित में आते हैं। (३) हिंस्र प्रदान–हिंसा के कार्यो में सहयोग करना, चोर, डाकू आदि को हथियार देना, उन्हें आश्रय देना। (४) पाप कर्मोपदेश-दूसरों को पाप कार्य में प्रवत्त करने हेतु प्रेरणा, परामर्श या उपदेश देना।
For good Amvaďa has given up four types of activities leading to unnecessary harm, viz., wrong concentration of the mind, to fall a victim to delusion, to give to another a weapon
to cause harm / slaughter and to counsel others to indulge in activities acquiring sin.
अम्मडस्स कप्पइ मागहए अद्धाढए जलस्स डिग्गाहित्तए। सेऽविय वहमाणए नो चेव णं अवहमाणए जाव...सेऽविय पूए नो चव णं अपरिपए। सेऽविय सावज्जत्तिकाऊ णो चेव णं अणवज्जे। सेविय जीवा इतिकटु णो चेव णं अजीवा ।