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उववाइय सुत्तं सू० ४०
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अम्बड़ परिव्राजक ने जीवन भर के लिये स्थूल प्राणातिपात-प्रस जीव की संकल्पपूर्वक की जाने वाली हिंसा...यावत् स्थूल परिग्रह का प्रत्याख्यान किया तथा जीवन भर के लिये सभी प्रकार के अब्रह्मचर्य का प्रत्याख्यान किया।
Amvada is renounced of slaughter in general, falsehood in general, usurpation in general, sex in general and accumulation of property in general, speciality being that he is renounced of sex for life (being already a monk).
अम्मडस्स णं णो कप्पइ अक्खसोतप्पमाणमेत्तंपि जलं सयराहं उत्तरित्तए · णण्णत्थ अद्धाण-गमणेणं । अम्मडस्स णं णो कप्पइ. सगडं एवं चेव भाणियव्वं जाव...णण्णत्थ एगाए गंगामट्टियाए ।
अम्बड़ परिव्राजक को मार्ग गमन के सिवाय गाड़ी की धुरी-प्रमाण पानी में भी अकस्मात् उतरना नहीं कल्पता है । अम्बड़ को गाड़ी आदि यानों पर सवार होना नहीं कल्पता है ।...यहां से लेकर महानदा गंगा की मिट्टी के लेप तक का समग्र वर्णन पूर्व वर्णन के अनुरूप समझ लेना
चाहिये। .
Going his own way apart, Amvada does even not put his steps into water no deeper than a wheel's frame. He will not use even an ordinary vehicle, to be repeated till except for the Gargā clay.
अम्मडस्स णं परिव्वायगस्स णो कप्पइ आहाकम्मिए वा उद्देसिए वा मीसजाए इ वा अझोअरए इ वा पूइकम्मे इ वा कोयगडे इ वा पामिच्चे इ वा अणिसि? इ वा अभिहडे इ वा