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Uvavaiya Suttam so. 38
प्रकार हैं : उदक-द्वितीय-एक भात / खाद्य पदार्थ एवं दूसरा जल ऐसे दो द्रव्य का आहार के रूप में सेवन करने वाले, उदक-तृतीय-भात आदि दो द्रव्य तथा तीसरे जल का सेवन करने वाले, उदक-सप्तम-भात आदि छः पदार्थ तथा सातवां जल इन सातों द्रव्यों का आहार रूप में सेवन करने वाले, उदक-एकादश-भात आदि दश द्रव्य और ग्यारहवें जल का सेवन करने वाले, गौतम-विशेष रूप से प्रशिक्षित ठिंगने बैल के द्वारा तरहतरह के मनोरंजक प्रदर्शन प्रस्तुत कर भिक्षा मांगने वाले, गोव्रतिक-गो-सेवा . से सम्बन्धित व्रत स्वीकार करने वाले, गृहधर्मी-गृहस्थ धर्म अर्थात् अतिथि-सेवा, दान आदि से सम्बन्धित गृहस्थ धर्म को ही कल्याणप्रद मानने वाले, धर्मचिन्तक, धर्म शास्त्र के पाठक-कथावाचक, अविरुद्ध-विनयाश्रित भक्तिमार्गी, विरुद्ध-आत्मा, लोक, आदि को अस्वीकार कर बाह्य एवं आभ्यन्तर इन दोनों दृष्टियों से क्रिया-विरोधी, वृद्ध-तापस, श्रावक-धर्म शास्त्र का श्रवण करने वाला, श्रोता ब्राह्मण आदि, उन मनुष्यों ने जो, दूध, दही, मक्खन, घृत, तेल, गुड़, मधु, मद्य, तथा मांस नव विकृतियाँ अकल्प्य-अग्राह्य मानते हैं, इनमें से सरसों के तेल के अतिरिक्त किसी भी विषय का सेवन नहीं करते, वे मनुष्य बहुत कम इच्छाएँ-आकांक्षाएँ वाले होते हैं।...ऐसे मनुष्य पूर्व वर्णन के अनुरूप मृत्युकाल आने पर देह त्याग कर बाण-व्यन्तर देव होते हैं। वहाँ उन देवों की स्थिति-आयुष्यपरिमाण चौरासी हजार वर्ष का बतलाया गया है ॥९॥...
___ Those living in the villages, mines, towns, etc.,. etc., whose intake consists of two items including water or three items including water, or seven items including water or eleven items including water, or those who earn their livelihood by using the oxen, who observe vows about cattle, who are sincere householders, who have devotion with humility, who believe in inactivity (a kiriyävädi) and who are brddha-srāvakas ( or who are tāpasas and brāhmanas ), for such men the following items with a distorted taste, viz., milk, curd, butter, ghi, oil, jaggery, honey, wine and meat are prohibited, the only exception being mustard oil. Such men have few desires, the rest as before, the stay is stated to be sixty four thousand years. 9