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________________ Uvavaiya Suttam Si. 32 ____ "देवों में इन्द्र के समान, असुरों में चमर इन्द्र के समान, नागों में धरण इन्द्र के समान, ताराओं में चन्द्रमा के समान, मनुष्यों में चक्रवर्ती भरत के समान, आप बहुत-अनेक वर्षों तक, अनेक शत वर्षों तक, अनेक सहस्र वर्षों तक, अनेक शत-सहस्र वर्षों तक, अनेक लक्ष--लाखों वर्षों तक, अनघसमग्र-सब प्रकार के विघ्न या दोष रहित अथवा, संपत्ति, परिवार आदि से सर्वथा सम्पन्न–प्रसन्न एवं परितुष्ट रहें तथा उत्कृष्ट आयु भोगें–प्राप्त करें। "Like Indra among the gods ( devas), like Camara among the Asuras, like Dharaṇendra among the Nāgas, like the moon among the stars, like emperor Bharata among human-beings, may thou live long for many years, for many centuries, for many thousand years, for hundreds of thousands of years, free from trouble, with the members of thy family, enjoying life happy and gay. इट्ठजणसंपरिवुडो चंपाए णयरिए अण्णेसि च बहूणं गामागरणयर-खेड-कब्बड-मंडब-दोणमुह-पट्टण-आसम-निगम-संवाह-संनिवेसाणं आहेवच्चं पोरेवच्चं सामित्तं भट्टित्तं महत्तरगत्तं आणाईसरसेणावच्चं कारेमाणे पालेमाणे महयाऽऽहयणट्टगीयवाइयतंतोतलतालतुडियघणमअंगपडुप्पवाइअरवेणं विउलाई भोग-भोगाई भुंजमाणे विहराहि--त्ति कटु जय जय सदं पउंजंति । "आप अपने प्रियजनों से परिवत्त-सहित चम्पा नगरी के तथा अन्य बहुत से ग्राम, आकर-नमक आदि के उत्पत्ति-स्थान, नगर-जिसमें कर नहीं लगता हो ऐसे शहर, खेट-धूल के परकोटे से युक्त गाँव, कर्बटअत्यन्त ही सामान्य कस्बे, द्रोणमुख -जलमार्ग तथा स्थलमार्ग से युक्त निवासस्थान, मडंब-आस-पास गाँवों से रहित बस्ती, पत्तन केवल जलमार्ग वाली या केवल स्थलमार्ग वाली बस्ती अथवा बन्दरगाह, बड़े नगर, आश्रम-तापसों के आवास, निगम-व्यापारिक नगर, संवाह-पर्वत
SR No.002229
Book TitleUvavaia Suttam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGanesh Lalwani, Rameshmuni
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1988
Total Pages358
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_aupapatik
File Size20 MB
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