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उववाइय सुत्तं सू० ३१
गविज्जअंगुलिज्जगल लियंगयल लियकयाभरणे भि अभुए।
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वरकडग तुडिय -
स्नान करने के पश्चात् राजा ने दृष्टिदोष -- नजर आदि के निवारण के लिये, रक्षाबन्धन आदि के रूप में सैंकड़ों कौतुक विविधों के द्वारा विधानों के द्वारा उत्तम कल्याणक मज्जन को संपादित किया। उसके पश्चात् रोदार, सुकोमल सुगन्धित और काषायित - - हरीतकी - हरड़े, विभीतक, आमलक आदि कसैली वनौषधियों से रञ्जित - रंगे हुए, या काषाय -- लाल अथवा गेरुएँ रंग के वस्त्र से शरीर को पोंछा। तत्पश्चात् सरस -- रसमय, आर्द्र, सुगन्धित गोरोचन, एवं चन्दन का शरीर पर लेप किया । अहतचूहों आदि के द्वारा नहीं कुतरे हुए अर्थात् अदूषित, निर्मल, बहुमूल्य दूष्यरत्न - प्रधान वस्त्र या वस्त्रविशेष को भलीभाँति रूप से पहना, पवित्र पुष्पमाला धारण की । केसर आदि का शोभतीय विलेपन किया । मणियों से जड़े हुए सुवर्ण के आभूषण पहने । गठित हार - अठारह लड़ों के हार, अर्धहार - नवलड़ी हार, तथा त्रिसरक-तीन लड़ों के हार और लम्बी-लम्बी, लटकती हुई पुष्पमाला, कटिसूत्र - कंदोरे अथवा करधनी से अपने को अलंकृत - सुशोभित किया । गले के आभूषण धारण किये । अंगुलियों में अंगूठियाँ पहनीं । राजा कूणिक ने इस प्रकार अपने सुन्दर अंगों को सुन्दर आभरणों से सुशोभित किया अथवा 'ललितांग' नामक देव के सदृश राजा कूणिक के केश एवं आभूषण ललित सुन्दर थे । उत्तम कंकणों और तुड़ित भुजबन्धों द्वारा भुजाएँ स्तंभित हो गई थी ।
Having completed his bath in sundry ways and cleaned his body by wholesome rubbing, he dried his body with red cloth ( towel ), turkish, soft and scented and then applied gorocana and sandal paste on his body. Then he nicely dressed his body with the best of robes which was spotlessly clean. Then he took a garland made from flowers, applied pollen (ku nkuma) and put on gold ornaments. Then he placed round his neck sundry garlands, some with three, some with more strings, long, with a pendant of flowers and decorated his