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भगवान श्री जिनेश्वर देवों के जैसा अन्य कोई उपकारी है ही नहीं ।
जो हमारे साथ वैरविरोध को छोड़े नहीं, उनके प्रति वैर विरोध को भी हमें तो छोड़ ही देना चाहिये, क्योंकि अपने खुद के भले के लिये ही उपशान्त बनना है, न कि - सिर्फ दूसरे किसी के भले के लिये उपशान्त बनना है ।
श्री पषण पर्वः यह वर्ष भर में लगे हुए दोषों से और हुए अनवनावों से आत्मा को मुक्त बनाने वाला वार्षिक पर्व है ।
वरविरोध से फायदा कुछ नहीं होता और नुकसान अवश्य होता है । फिर भी ऐसी मूर्खता करने वाले बहुत है और ऐसी मूर्खता करना यह समझदारी है ऐसा समर्थन करने वाली आत्माओं की भी इस जगत में कमी नहीं हैं ।
- लेखक
पू. परम शासन - प्रभावक, व्याख्यान - वाचस्पति आचार्यदेव श्रीमद् विजय रामचन्द्रसूरीश्वरजी महाराजा -