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________________ अस्य ग्रन्थस्य पुनर्मुद्रणाधिकारः प्रकाशकेन स्वायत्तीकृतः । प्रकाशन तिथि वि. सं. पोष सुद १३ को परमपूज्य कलिकालकल्पतरु अनेकान्ताभासमितिरतरणि, सुविशालगच्छाधिपति आचार्यदेव श्रीविजय रामचन्द्रसूरीश्वरजी महाराजा के सुदीर्घ दीक्षा तिथि की उजवणी के दिन । मूल्य ४५) प्रथमावृत्ति - ११११ प्राप्ति स्थान सेठ कल्याणजी सोभागचन्दजी जैन पेढ़ी पो. पिण्डवाडा ( राज. ) पिन - ३०७०२२ इस ग्रन्थ के आधार भूत ग्रन्थ १. श्री सिद्ध हे मलघुवृत्त्याः अवचुरिः २|| अध्याय २. श्री सिद्ध हेम शब्दानुशासन वृहद्वृत्तिः ३. श्री सिद्ध हेमशब्दानुशासनबृहन्न्यासः ४. श्री सिद्ध हेमशब्दानुशासनलघुन्यासः ५. अभिधान चिन्तामणिस्वोपज्ञः ६. श्री सिद्ध हेमशब्दानुशासन मध्यमवृत्तिः मध्यमवृत्त्याः अवचूरिश्च ७. श्री हेमप्रकाशः ८ न्यायसंग्रह इत्यादि अनुक्रमणिका - प्रथम भाग में - १ से १० पाद द्वितीय भाग में - ११ से २० पाद तृतीय भाग में - छठा व सातवां अध्याय चतुर्थ भाग में - सूत्रानुक्रम, शुद्धिपत्रक, न्याय, धातुपाठ आदि परमपूज्य मुनिराज श्री कमल रत्नविजयजी म. सा. के वि. सं. २०४३ के भव्य चातुर्मास में जो श्रीसिद्ध हेमशब्दानुशासन (लघुवृत्ति एवं अभिनव गुणरत्नावृत्ति के साथ) जो प्रकाशित हुई उसमें श्रीदान म रामचन्द्रसूरिजी आराधना भवन ट्रस्ट, पोरवाड वास, रतलाम (म. प्र. ) ज्ञान खाते की आय में से ११११ रुपये का लाभ लिया है। उसकी हम अनुमोदना करते हैं। लि. प्रकाशक मुद्रण कार्य - हँसमुखलाल जैन लक्ष्मी प्रेस, १४ नागरिक विश्राम गृह, कॉलेज रोड, रतलाम
SR No.002227
Book TitleSiddh Hemchandra Vyakaranam Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDarshanratnavijay, Vimalratnavijay
PublisherJain Shravika Sangh
Publication Year
Total Pages576
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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