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आयारदसा
क्रियावादी का वर्णन प्रश्न--भगवन् ! क्रियावादी कौन है ? उत्तर-जो अक्रियावादी से विपरीत आचरण करता है।
यथा-जो आस्तिकवादी है, आस्तिक बुद्धि है, आस्तिक दृष्टि है, सम्यवादी है, नित्य (मोक्ष) वादी है। परलोकवादी है जो यह मानता है कि इह लोक है, परलोक है, माता है, पिता हैं, अरिहंत हैं, चक्रवर्ती हैं, बलदेव हैं, वासुदेव हैं, सुकृत और दुष्कृत कर्मों का फलवृत्ति-विशेष होता है सु-आचरित कर्म शुभफल देते हैं। और असद्-आचरित कर्म अशुभ फल देते हैं । कल्याण (पुण्य) और पाप फल-सहित हैं, अर्थात् अपना फल देते हैं, जीव परलोक में जाते भी हैं और आते भी हैं, नारकी हैं, यावत् (तिर्यंच हैं, मनुष्य हैं, देव हैं )और सिद्धि (मुक्ति) है। इस प्रकार मानने वाला आस्तिक क्रियावादी कहलाता है।
विशेषार्थ-जो नास्तिक नहीं है, जीव, पुण्य-पाप, लोक-परलोक आदि को मानता है, ऐसा आस्तिकवादी मनुष्य क्रियावादी है । यह अल्प आरम्भी, अल्प परिग्रही, और अल्प इच्छाओं का धारक होता है। यह धार्मिक, धर्मरुचि, धर्मसेवी, धर्मनिष्ठ, धर्मानुरागी, धर्मजीवी, धर्म-कार्यदर्शक, धर्म-कथक, धर्मशील और सदाचार का धारक होता है एवं धर्मपूर्वक अपनी आजीविका करता है । वह किसी जीव को मारने, काटने. और ताड़ने के लिए किसी से नहीं कहता है । प्रत्युत स्वयं जीव-रक्षा करता है और दूसरों से धर्म की रक्षा करने के लिए कहता है, उन्हें प्रेरणा देता है, वह हिंसादि पापों से यथासंभव बचने का प्रयत्न करता है, वह मन्दकषायी होता है, यथाशक्य कषायरूप प्रवृत्ति से बचता है, इन्द्रियों के विषयों में आसक्त नहीं होता। वह सभी प्रकार के आवश्यक बाह्य परिग्रहों को रखते हुए भी उसमें मूच्छित नहीं होता। वह यद्यपि किसी व्रत, शील आदि का पालन नहीं करता है, तथापि दुराचार दुष्प्रवृत्ति और कुसंगति से बचता है, वह ऐसा कूड-कपट नहीं करता, जिससे कि दूसरे के जान-माल का घात हो । वह आजीविका के लिए उन ही व्यापारों को स्वीकार करता है जिनमें कम से कम जीव-घात हो । वह अपने अधीनस्थ नौकर-चाकरों के साथ एवं कुटुम्ब-परिजनों के साथ निर्दयतापूर्ण व्यवहार नहीं करता, प्रत्युत स्नेह और वात्सल्य भाव रखता है। किसी के द्वारा बड़े से बड़ा अपराध हो जाने पर भी वह कम से कम दण्ड देता है। उसके सदय और प्रेम-परिपूर्ण व्यवहार से नौकर-चाकर, कुटुम्ब-जन और समीपवर्ती भी प्रसन्न रहते हैं । ऐसी प्रवृत्ति वाला मनुष्य विवेकी, विचारपूर्वक कार्य करने वाला, न्यायपूर्वक आजीविका करने वाला, लोगों का विश्वासपात्र और दूसरों का सहायक, देव-गुरु का भक्त एवं प्रवचन का अनुरागी होता हैं ।