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________________ छेदसुत्ताणि ११ सागारियपिडं भुजमाणे सबले। १२ आउट्टियाए पाणाइवायं करेमाणे सबले । १३ आउट्टियाए मुसावायं वदमाणे सबले। १४ आउट्यिाए अदिण्णादाणं गिण्हमाणे सबले । १५ आउट्टियाए अणंतरहिआए पुढवीए ठाणं वा सेज्जं वा निसीहियं वा चेएमाणे सबले । १६ एवं ससणिद्धाए पुढवीए। एवं ससरक्खाए पुढवीए। १७ आउट्टियाए चित्तमंताए सिलाए, चित्तमंताए लेलुए, कोलावासंसि वा दारुए जीवपइट्ठिए, स-अंडे, स-पाणे, स-बीए, स-हरिए, स-उस्से, स-उदगे, स-उत्तिगे, पणग-दग मट्टीए, मक्कडा-संतागए तहप्पगारं ठाणं वा सिज्जं वा निसीहियं वा चेएमाणे सबले । १८ आउट्टियाए मूलभोयणं वा, कंद-भोयणं वा, खंध-भोयणं वा, तया भोयणं वा, पवाल भोयणं वा, पत्तभोयणं वा, पुप्फ-भोयणं वा, फल भोयणं वा, बीय-भोयणं वा, हरिय-भोयणं वा भुजमाणे सबले । १६ अंतो संवच्छरस्स दस दग-लेवे करेमाणे सबले । २० अंतो संवच्छ रस्स दस माइ-ट्ठाणाई करेमाणे सबले । २१ आउट्टियाए सीतोदय-वियड-वग्धारिय-हत्थेण वा मत्तेण वा, दव्वीए वा, भायणेण वा, असणं वा, पाणं वा, खाइमं वा, साइमं वा पडिगाहित्ता भुजमाणे सबले । प्रश्नः स्थविर भगवन्तों ने वे इक्कीस शबल (दोष) कौन से कहे हैं-- उत्तर:- स्थविर भगवन्तों ने वे इक्कीस शबल इस प्रकार कहे हैं। जैसे१ हस्तकर्म करने वाला शबल दोष-युक्त है। .. २ मैथुन प्रतिसेवन करने वाला शबल दोष-युक्त है। ३ रात्रि-भोजन करने वाला शबल दोषयुक्त है। ४ आधार्मिक आहार खाने वाला शबल दोषयुक्त है। ५ राजपिंड को खाने वाला शबल दोषयुक्त है। ६ औद्दे शिक (साधु के उद्देश्य से निर्मित) या क्रीत (साधु के लिए मूल्य से खरीदा हुआ) या प्रामित्यक (उधार लाया हुआ) या आच्छिन्न
SR No.002225
Book TitleChed Suttani Aayar Dasa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanahaiyalalji Maharaj
PublisherAagam Anyoug Prakashan
Publication Year1977
Total Pages210
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_dashashrutaskandh
File Size13 MB
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