SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 135
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आयारवसा . ११५ • प्र०-हे भगवन् ! अण्ड सूक्ष्म किसे कहते हैं ? उ० – अण्ड सूक्ष्म पांच प्रकार के कहे गये हैं, यथा१ उदंशाण्ड=मधु मक्खी मत्कुण आदि के अण्डे । २ उत्कलिकाण्ड=मकड़ी आदि के अण्डे । ३ पिपीलिकाण्ड=किड़ी, मकोड़ी आदि के अण्डे । ४ हलिकाण्ड =छिपकली आदि के अण्डे । ५ हल्लो हलिकाण्ड = शरटिका आदि के अण्डे । ये अण्ड सूक्ष्म छद्मस्थ निर्ग्रन्थ-निर्ग्रन्थियों के बार-बार जानने योग्य, देखने योग्य, और प्रतिलेखन योग्य है । ___ अण्ड सूक्ष्म वर्णन समाप्त । মুন্স ও प्र०-से किं तं लेणसुहुने ? उ०-लेणसुहमे पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा- . १ उत्तिगलेणे, २ भिंगुलेणे, ३ उज्जुए, ४ तालमूलए, ५ संबुक्काव? नामं पंचमे। .. जे छउमत्थेण निग्गंथेण वा, निग्नंथीए वा अभिक्खणं अभिक्खणं जाणियब्वे पासियव्वे पडिलेहियव्वे भवइ । से तं लेणसुहुमे । (७) ८/५७ प्र०—हे भगवन् ! लयन-सूक्ष्म किसे कहते हैं ? उ० --लयन-सूक्ष्म पाँच प्रकार के कहे गये हैं, यथा १ उत्तिंगलयन= भूमि में गोलाकार गड्ढे बनाकर रहने वाले, सूंड वाले जीव। ... २ भृगुलयन =कीचड़ वाली भूमि पर जमने वाली पपड़ी के नीचे रहने वाले जीव । ३ ऋजुक लयन = बिलों में रहने वाले जीव । ४ तालमूलक लयन=ताल वृक्ष के मूल के समान ऊपर सकड़े; अन्दर से चौड़े बिलों में रहने वाले जीव । . . ५ शम्बूकावर्त लयन =शंख के समान घरों में रहने वाले जीव । ये लयन-सूक्ष्म जीव छद्मस्थ निर्ग्रन्थ-निर्ग्रन्थियों के बार-बार जानने योग्य • देखने योग्य और प्रतिलेखन योग्य हैं। . . लयन-सूक्ष्म वर्णन समाप्त ।
SR No.002225
Book TitleChed Suttani Aayar Dasa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanahaiyalalji Maharaj
PublisherAagam Anyoug Prakashan
Publication Year1977
Total Pages210
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_dashashrutaskandh
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy