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परिशिष्टेषु
(१६)
सूत्राङ्क ।
सूत्रम् । कर्तुर्णिन् ।५।१।१५३॥ कर्तुर्व्याप्यं कर्म | २२|३|| कर्तृस्थामूर्ताप्यात् | ३|३|४०||
कर्मजा तृचा च । ३ | १॥८३॥ कर्मणः संदिष्टे ॥७२॥१६७॥ कर्मणि | २२|४०|| कर्मणि कृतः | २|२|८३ ॥ कर्मणोऽण |५|१|७२ |
कर्मणोऽणू |५|३|१४|| कर्मण्यग्न्यर्थे |५|१|१६५॥ कर्मवेषाद्यः | ६ |४| १०३॥ कर्माभिप्रेयः संप्रदा० | २|२|२५|| कलापिकुथु - णः | ७|६|२४|| कलाप्यश्वत्थ-कः।६।३।११४॥ कल्प रेणू |६|१|१७| कल्याण्यादेरिन् चा० |६| ११७७॥ कवचिक | ६|२|१४| कवर्गैकस्वरवति |२|३|७६ ॥ कषः कृच्छ्रगहने |४|४|६७॥ कषोऽनिः |५|३|३|| कष्टकक्षकृच्छ्र-णे|३|४|४१ ॥ कसमा-र्धः | १|१|४१ ॥
कसोमात् ट्यण् ।६।२।१०७॥ काकतालीयादयः | ७|१|११७॥
काकवौ वोष्णे ||३|२|१३७||
सूत्रम् । काकाद्यैः क्षेपे । ३ | १ | ९०॥ काक्षपथोः | ३|३|१३४॥
सूत्राङ्कः ।
काण्डाssण्डभाण्डा०|७|२|३८|| काण्डात् प्रमा-त्रे | २|४|२४|| कादिर्व्यञ्जनम् | १|१|१० ॥ कामोक्तावकच्चिति |५|४|२६||
कारकं कृता | ३|१|६८॥
कारणम् ||५|३|१२७| कारका स्थित्यादौ | ३|१|३|| कार्षापणा-वा | ६|४|१३३ ॥
कालः | ३|१|६० ॥ कालवेलासमये - रे | ५|४|३३ ॥ कालस्यानहोरात्राणाम् |५|४|७|| कालहेतु - गे |७|१|१९३ ॥ काला जटाधा - पे | ७|२॥२३॥ कालात् |७|३|१९॥
कालात् तनतरतम० |३|२|२४|| कालात् परि-रे | ६|४|१०४॥ कालाद् देये ऋणे | ६|३|११३॥ कालाद् भववत् |६|२|१११ ॥ कालाद्यः |६|४|१२३॥ कालाध्वनोर्व्याप्तौ | २२|४२॥ कालाध्वभा-णाम् ॥२२१२३॥ काले कार्ये -
|६|४|९८ ॥
कालेन तृप्य - रे |५|४|८२ ॥