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(१६८) परिशिष्टेषु ॥ ९२७ ॥ अर्ते क्षिनक् ॥ ९२८ ॥ अदेस्त्रिन् ॥ ९२९ ॥ पतेरत्रिन् ॥ ९३० ॥ आपः किए हस्वश्च ॥ ९३१ ॥ ककु. पत्रिष्टुषनुष्टुभः ॥ ९३२ ॥ अवेमः ॥ ९३३ ॥ सोरेतेरम् ॥९३४ ॥ नशिनूभ्यां नक्तनूनी च ॥ ९३५ ॥ स्यतेर्णित् ॥ ९३६ ॥ गमिजमिक्षमिकमिशमिसमिभ्योडित् ॥९३७॥ इणो दमक् ॥ ९३८ ॥ कोर्डिम् ॥९३९॥ तूपेरीम् णोऽन्तश्च ॥ ९४० ॥ ईकमिशमिसमिभ्यो डित् ॥ ९४१ ॥ ऋमिगमिक्षमेस्तुमाचातः ॥९४२॥ गृपृदुर्विधुर्विभ्यः किम्॥९४३॥ बाारौ ॥ ९४४ ॥ प्रादतेर ।। ९४५ ॥ सोरते क् च ॥ ९४६ ॥ पूसन्यमिभ्यः पुनसनुतान्ताश्च ॥९४७ ॥ चतेरुर् ॥ ९४८ ॥ दिवेर्डिव् ॥ ९४९ ।। विशिविपाशिभ्यां किए ॥ ९५० ॥ सहेः षष् च ॥ ९५१ ।। अस् ॥ ९५२ ॥ पाहाभ्यां पयह्यौ च ॥ ९५३ ॥ छदिवहिभ्यां छन्दोधौ च ॥ ९५४ ॥ श्वेः शव च वा ॥ ९५५ ॥ विश्वाद् विदि. भुजिभ्याम् ॥ ९५६ ॥ चायी ह्रस्वश्च वा ॥९५७ ॥ अशेयश्चादिः ॥९५८ ॥ उषे च ॥९५९॥ स्कन्देधं च ॥९६०॥ अवेर्वा ॥ ९६१ ॥ अमेमही चान्तौ ॥ ९६२ ॥ अदेरन्ध च वा ॥९६३॥ आपोऽपाताप्सराब्जाश्च ॥९६४॥ उच्यश्चेः क च ॥ ९६५ ॥ अज्यजियुजिभृजेर्ग च ॥ ९६६ ॥ अर्तेरुराशी च ॥ ९६७ ॥ येन्धिभ्यां यादेधौ च ॥ ९६८ ॥ चक्षः शिवा ॥ ९६९ ॥ वस्त्यगिभ्यां णित् ॥ ९७० । मिथिर
ज्युषितपशृभूवष्टिभ्यः कित् ॥ ९७१ ॥ विधेयं ॥९७२॥ नुवो धथादिः ॥ ९७३ ॥ वयः पयः पुरोरेतोभ्यो धागः ॥९७४ ॥ नत्र ईहेरेहेधौ च ॥ ९७५ ॥ विहायस्सुमनस्पु. रुशस्पुरुरवोऽङ्गिरसः ॥ ९७७॥ पातेजस्थसौं ॥ ९७७ ॥