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(१६६) परिशिष्टेषु उले कित् ॥ ८२८ ॥ कृषिचमितनिधन्यन्दिसर्जिखर्जिभर्जिलस्जीयिभ्य ऊः ॥ ८२९ ॥ फले फेल् च ॥ ८३० ॥ कषेण्र्डच्छौ च षः ॥ ८३१ ॥ वहेर्ध च ॥ ८३२ ॥ मृजेणु: णश्च ॥ ८३३ ॥ अजेोऽन्तश्च ॥ ८३४ ॥ कसिपद्यादिभ्यो णित् ।। ८३५ ॥ अणे?ऽन्तश्च ॥ ८३६ ॥ अडो ल च वा ॥ ८३७ ॥ नजो लम्बेर्नलुक् च ॥ ८३८ ॥ कफा. दीरेल च ॥ ८३९ ॥ ऋतो रत च ॥ ८४० ॥ दभिचपेः स्वरान्नोऽन्तश्च ॥ ८४१ ॥ धृषेर्दिधिषदिधीषौ च ॥ ८४२ ॥ भ्रमिगमितनिभ्यो डित् ।। ८४३ ॥ नृतिगृधिरुषिकुहिभ्यः कित् ॥ ८४४ ॥ तृखण्डिभ्यां डूः॥ ८४५ ॥ तृदृभ्यां दूः ॥ ८४६ । कमिजनिभ्यां बूः ॥ ८४७ ॥ शकेरन्धू।।८४८॥ कुगः कादिः॥८४९ ।। योरागूः ।। ८५० ॥ काच्छीडो डेरू: ॥ ८५१ ॥ दिव ऋः ॥ ८५२ ॥ सोरसेः ॥ ८५३ ॥ नियो डित् ॥ ८५४ ॥ सव्यात् स्थः ॥ ८५५ ॥ यतिननन्दिभ्यां दीर्घश्च ॥ ८५६ ॥ शासिशंसिनीरुक्षुहृभृधमन्यादिभ्यस्तः ॥ ८५७ ॥ पातेरिच ॥ ८५८ ॥ मानिभ्राजेनुक् च ।।८५९॥ जाया मिगः ॥ ८६० ॥ आपोऽप् च ॥ ८६१ ॥ नमेः पच ॥ ८६२ ॥ हुपूग्गोन्नीप्रस्तुप्रतिप्रस्थाभ्य ऋत्विजि ॥८६३॥ नियः षादिः ॥ ८६४ ॥ त्वष्टक्षत्तृदुहित्रादयः ॥ ८६५ ॥ रातेडैः ॥ ८६६ ॥ धुगमिभ्यां डोः॥ ८६७ ॥ ग्लानुदिभ्यां डौः ॥ ८६८ ॥ तो किक् ॥ ८६९ ॥ द्राग्रादयः ॥ ८७० ॥ स्रोश्चिक् ॥ ८७१ ॥ तने वच् ॥ ८७२ ॥ पारेरजू ॥ ८७३॥ ऋधिपृथिभिषिभ्यः कित् ॥ ८७४ ॥ भृपणिभ्यामिजू भुरवणौ च ॥ ८७५ ॥ वशेः कित् ॥ ८७६ ॥ लङ्घरेट नलुक च ॥ ८७७ ॥ सर्तेरडू ।। ८७८ ॥ ईडेरविड् हस्वश्च ॥८७९॥