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उणादिप्रकरणम्
लानाथस्य आत ॥ २०९ ॥ हृश्यारुहिशोणिपलिभ्य इतः || २१० ।। नत्र आपेः ॥ २१९ ॥ क्रुशिपिशिपृषिकृषिकुस्युचिभ्यः कित् ॥ २१२ ॥ हृग ईतण ॥ २१३ ॥ अदो भुवो डुतः ॥ २१४ ॥ कुलिमयिभ्यामूतक् ॥ २१५ ॥ जीवेमश्च ॥ २१६ ॥ कबेरोतः प् च ॥ २९७ ॥ आस्फायेर्डित् विशिभ्यामन्तः ।। २९९ ।। रुहिनन्दिजीविप्राणिभ्यष्टिदाशिषि ॥ २२० ॥ तृजभूवदिवहिवसि भास्यदि साधिमदिगडिगण्डिनन्दिरेविभ्यः ॥ २२९ ॥ सीमन्तहेमन्त भदन्तदुष्यन्तादयः ॥ २२२ ॥ शकेरुन्तः ॥ २२३ ॥ कषेर्डित् ॥ २२४ ॥ कमिनुगार्तिभ्यस्थः || २२५ ।। अवाद् गोऽच वा ||२२६॥ नीनूरमितृतुविचिरिचिसि विश्विहनिपागोपावोद्वाभ्या कित् ॥ २२७ ॥ न्युद्भ्यां शीङः ॥ २२८ ॥ अवभृनिर्ऋसमिणुभ्यः ।। २२९ ॥ सप्तर्णित ॥ २३० ॥ पथयूथगूथकुथतिथनिथसूरथादयः ॥ २३१ ॥ भृशीशपिशमिगमिरमिवन्दिवञ्चिजीविप्राणिभ्योऽथः ॥ २३२ ॥ उपसर्गाद् वसः || २३३ || विदिभिदिरुदिहिभ्यः कित् ॥ २३४ ॥ रोर्वा ॥ २३५ ॥ जृवृभ्यामूथः ॥ २३६ ॥ शाशपिमनिकनिभ्यो दः ॥ २३७ ॥ आपोऽप् च ।। २३८ ॥ गोः कित् वृतुकुसुभ्यो नोऽन्तश्च ॥ २४० ॥ कुसेरिदेदौ ॥ २४१ ॥ इङ्ग्ग्यर्बिभ्यामुदः ॥ २४२ ॥ कर्णद्वा ॥ २४३ ॥ कुमुदबु
बुदादयः ॥ २४४ ॥ ककिमकिभ्यामन्दः || २४५ ॥ कल्यलिपुलिकुरिकुणिमणिभ्य इन्दक् ॥ २४६ ॥ कुपेर्व च वा ॥ २४७ ॥ पृपलिभ्यां णित् ॥ २४८ ॥ यमेरुन्दः || २४९ ॥ मुचेर्षुकुन्दकुकुन्दौ || २५० || स्कन्द्यमिभ्यां धः ॥ २५१ ॥ नेः स्यतेरधक ॥ २५२ ॥ मङ्गेर्नलुकू च ।। २५३ ॥ आरगे
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