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________________ उणादिप्रकरणम् ( १४७ ) पणिपनिपदिपतिभ्यः ॥ ३९ ॥ नसिवसिकसिभ्यो णित ॥ ४० ॥ पापुलिकृषिकुशिवचिभ्यः कित् ॥ ४१ ॥ प्राङ: पणिपनिकषिभ्यः ॥ ४२ ॥ मुषेर्दीर्घश्च ॥ ४३ ॥ स्यमेः सीम् च ॥ ४४ ॥ कुशिक हृदिकमक्षिकेतिक पिपीलिकादयः || ४५|| स्यमिकषिदृष्यनिमनिमलिवल्य लिपालिकणिभ्य ईकः ॥ ४६ ॥ शृवृमृभ्यो द्वेरश्चादौ ॥ ४७ ॥ ऋच्यूजिहृषीषिदृशिमृडिशिलिनिभ्यः कित् ॥ ४८ ॥ मृदेर्वोऽन्तश्च वा ॥ ४९ ॥ सृणीकास्तीकप्रतीकपूतीक समीकवाही कवाहीकवाह्लीकवल्मी ककल्मलीकतिन्तिडीककङ्कणीक किङ्किणीकपुण्डरीकचञ्चरीकफर्फरीकझर्झरीकर्घ घरीकादयः ॥ ५० ॥ मिवमिकटिभलिकु हेरुकः ॥ ५१ ॥ संविभ्यां कसेः ॥ ५२ ॥ क्रमेः कृम् च वा ॥ ५३ ॥ कमिति मेर्दोऽन्तश्च ॥ ५४ ॥ मण्डेर्मड्ड् च ॥ ५५ ॥ कण्यणेर्णित् ॥ ५६ ॥ कञ्चुकांशुकशुकपाकुकहिबुकचिबुकजम्बुकचुलुकचू चुकोल्मुक भावुकपृथुकमधुकादयः ॥ ५७ ॥ म्रुमन्यञ्जिजलिवलितलिमलिमल्लि भालिमडिबन्धिभ्य कः ॥ ५८ ॥ शल्यणेर्णित् ॥ ५९ ॥ कणिभल्लेर्दीर्घश्च वा ॥ ६० ॥ शम्बूकशाम्बुकवृधूकमधूकोलूकोस्वूकवरुकादयः ॥ ६१ ॥ किरोऽङ्को रो लश्च वा ॥ ६२ ॥ रालापाकाभ्यः कित् ॥ ६३ ॥ कुलिचिरिभ्यामिङ्कक् ॥ ६४ ॥ कलेरविङ्कः ॥ ६५ ॥ क्रमेरेलकः ॥ ६६ ॥ जीवेरातृको जैव च ॥६७॥ हृभूलाभ्य आणकः ॥ ६८ ॥ प्रियः कित् ॥ ६९ ॥ घालूशिङ्गिभ्यः ॥ ७० ॥ शीभीराजेश्वानकः ॥ ७१ ॥ अणे. र्डित् ॥ ७२ ॥ कनेरीनकः ॥ ७३ ॥ गुङ ईधुकैधुकौ ॥ ७४ ॥ वृतेस्तिकः ॥ ७५ ॥ कृतिपुतिलतिभिदिभ्यः कित् ॥ ७६ ॥ इष्यशिमसिभ्यस्तकक्रू ॥ ७७ ॥ भियो द्वे च ॥ ७८ ॥ ६६
SR No.002220
Book TitleSiddh Hemchandra Vyakaranam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHimanshuvijay
PublisherAnandji Kalyanji Pedhi
Publication Year
Total Pages1054
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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