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________________ Pres. Part. ० घातु ० विशे० Act. Pass. 1 कर्मणि कतरि सुलभधातुरूपकोशः Past Pass. Part. भूतकाल०धातु विशे० प्रकाशित कुपित कुसित Pot. Pass. Part. विध्यर्थ घाट • विशे० (प्रकाश प्रकाश्य- प्रकाशनीय, प्रकाशिमान मान तब्य, प्रकाश्य कुप्यत् कुप्यमान कोपनीय, कोपितव्य, कुप्य कुस्यत् कुस्यमान कोसितव्य, कोसनीय, कोस्य कर्मत् कृष्यमाण कर्षितव्य, कर्पणीय, कृष्य कृषत, कृष्यमाण कृपमाण कल्पमान कुप्यमान कल्पितव्य - कल्प्तव्य, कल्पनीय, कल्प्य कृत क्रीडत् क्रीड्यमान क्रीडितव्य, क्रीडनीय, क्रीडित शाम्यत् क्षम्य 39 क्रीड्य कुध्यत् क्रुध्यमानः क्रोधनीय, क्रोधितव्य, कोय क्षममाण क्षम्य क्षमितव्य, क्षम्य, माण क्षन्तव्य " कृष्ट क्षिपत् क्षिप्य क्षेप्तव्य, क्षेपणीय, क्षिपमाण माण क्षेप्य क्षुभ्यत् क्षुभ्यमाणक्षोभितव्य, क्षोभागीय, क्षोभ्य खन, खन्यमान खनितम्य, खननीय, वनमान खायमान लेय कृष्ट क्रुद्ध क्षान्त " माण क्षालयत्, क्षाल्य क्षाल्य, क्षालितव्य, क्षालयमान माना. क्षालनीय क्षयत् क्षीयमाण क्षेतव्य, क्षय्य, क्षेय क्षित, क्षीण क्षालित क्षिप्त क्षुभित, खात क्षुध Infin. of Purpose इत्वर्थक धातु अव्यय 35 1 प्रकाशितुम् प्रकाश्य कोपितुम् कुपित्वा, कोपित्वा कोसितुम् कुसित्वा. कर्तुम्, क्रष्टुम् | कृष्ट्वा क्षन्तुम् "" क्षालयितुम् क्षेतुम् क्षेप्तुम् क्षोभितुम् खनितुम् Gerund of Absolutive पूर्वकाल धातु० अव्यय "" कल्पितुम्, कल्पित्वा, कृत्वा कल्प्तुम् | ( संकल्प्य ) क्रीडितुम् क्रीडित्वा क्रोद्धुम् क्षमितुम्, २३ कोसित्वा क्रुद्धा क्षमित्वा, क्षान्त्वा " क्षालयित्वा क्षित्वा क्षिप्त्वा अभिवा खनित्वा, क्षोभित्वा खात्वा
SR No.002219
Book TitleSulabh Dhatu Rup Kosh Part 01 02 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnaji B Virkar, Kulchandravijay
PublisherJinshasan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages284
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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