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________________ सुलभधातुरूपकोशः १०३ | Pres. Part.! Pot. Pass. | Past Pass. | Infin. of | Gorund or वतं. धातु विशे P art. | Part. Purpose ! Absolutive Act. Pass./ विध्यर्थ धातु० भूतकाल०धातु हेत्वयंक धातु पूर्वकाल धातु. कतरि कर्मणि विशे. विशे० अव्यय अव्यय पूर्ण वरितुम् , वरीतुम् शनुम् शक्त णत्, वूर्यमाण वरितव्य, वरीतव्यः । यूवी ऋणान वरणीय; वार्य शकुवत् शक्यमान शक्तव्य, शकनीय, दशकवा शक्य शासत् शिष्यमाणा शासितव्य, शासनीय, शासितुम् शागिन्या, शिष्य . शिष्टा (अनुशिय) आशासान आशा-आशासितव्य, आशा- आशासित । आशामितुम् आशाम्य स्यमान सनीय, आशास्य । शिपत् शिष्यमाण शेष्टव्य, शेपणीय, शिष्ट शेठम् शिष्टा, शेय . (विशिय) शयान शव्यमान शयितव्य, शयनीय, शयित शयितुम् .. यित्वा, | . • शेय आत् प्रायमान धातव्य, पाणीय, श्रातुम् श्रात्य . .. श्रेय .' अनुम् . श्रीया श्रीगत, श्रीयमाण श्रेतव्य, श्रयणीय, धीत श्रीमान श्रेय ग्वत् धृयमाण श्रोतव्य, श्रवणीय, श्रुत " श्रव्य, श्राव्य असन् सत्यमान श्वसितव्य, श्वसनीय । असित, वास्य (आश्वस्त, | विश्वस्त) साद्ध सुत प्रतिश्रुग्य असितम्। सित्वा, (आयत्य विश्वस्य) सादुम् ! साड्या , . (प्रमाय) : मुवा, (प्रसुत्य) सोतुम् , सूत्वा सवितुम् (प्रसूय) स्तम्भितुम् लम्भिवा, स्तम्या, (विम्म) सानुवत् साध्य- साव्य, साधनीय .मान साध्य सुन्वत् , सूयमान सोतव्य, सवनीय, सुन्वान । सव्य, साव्य सुवान | सोतव्य, सवितव्यः । सवनीय; सव्य, साव्य स्तन्नत् स्तभ्यमान स्तम्भितव्य, स्तम्भ । नीय, स्तम्भ्य मोतुम् सूत स्तब्ध
SR No.002219
Book TitleSulabh Dhatu Rup Kosh Part 01 02 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnaji B Virkar, Kulchandravijay
PublisherJinshasan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages284
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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