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________________ मुलभधातुरूपकोशः १०१ सनीय | - लून | Pres. Part. Pot. Pags. Past Pass. Infin. ot Gerund or वन धातु विशे Part. Part, | Purpuro Absolutive Ant. Pass. विध्यर्थ धातु भूतकाल धातु० हत्वर्थक धातु पूर्वकाल० धातु० करि फणि विशे० । विशे० । अव्यय अध्यय लिहत् , लिझमान लेढव्य, लेहनीय, लीढ लेहुम्लीहा, लिहान . लेह्य . ... (आलिा ) लिनत् लीयमान लेतव्य, लातव्य; लेतुम् , लातुम् लीया,(विलीय. . लयनीय, लेय . विलाय) लुनत् , लूयमान लवितव्य, लवनीय, लवितुम् लून्या, लुनान लव्य, लाव्य । : (अवट्य) वन्वान वन्यमान वनितव्य, वननीय, वनितुम् । वनित्या, वत्वा | वान्य उशत् उदयमान वशितव्य: वशनीय, वशित वशितुम् वशित्वा वाश्य वसान वस्यमान वसितव्य, वसनीय, वसित वसितुम् वसित्वा, । वास्य (उद्धम्म) वात् यायमान वातव्य, वानीय, वेय वात वातुम् : वात्या, (निवाय) वेविजत् , विज्य- वेक्तव्य, वजनीय, । विक्त वेतम् . विक्वा, वेविजान मान वेज्य ( विविज्य) विदत् , विद्यमान वेदितव्य, वेदनीय, विदित वेदितुम् . विदित्वा, विद्वम् . वेद्य (संविद्य) विन्दान , वेत्तव्य, वेदनीय, वैद्य वित्त, विन वेतुम् विन्या येविषत् , विष्य- वेष्टव्य, वेषणीय, वेष्य वेम् - विद्या वैविपाण माण वृण्वत् , त्रियमाण वरितव्य, वरीतव्य; वरितम्,. वृत्वा, वृण्वान वरणीय; वार्य, वृत्य | वरीतुम् (अनुवृत्य) वृणान , जान युज्यमान वर्जितव्य, वर्जनीय, वर्जितुम् वर्जिया . ज्य राजत् ,
SR No.002219
Book TitleSulabh Dhatu Rup Kosh Part 01 02 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnaji B Virkar, Kulchandravijay
PublisherJinshasan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages284
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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