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________________ श्रीनयतत्वविस्तरार्थ तथा नवतस्वसाहित्यसङ्ग्रह विषयानुक्रमणिका. विषय. विस्तरार्थकारनुं मंगलाचरण ग्रन्थकारतुं वस्तुसंकीर्तन मंगल निरूपक प्रथम गाथा नवतस्वन संक्षिप्त स्वरुप. अंतर्गतपुण्यानुबंधिपुण्यादि चोभंगीन स्वरूप. नवतरवोमां जीवाजीवादि विभागोनी व्हेंचण. बे अथवा सात तस्वोमां नवनो अंतर्भाव. नवतावक्रमहेतुविचार प्रथमगाथारहस्य. नवतस्वना उत्तरभेदोनी संख्यासूचक द्वितीयगाथा, उत्तरभेदोमां रूपीमरूपी भेदसूचक प्राचीनगाथाओ. नवतस्वमा जीवाजीयादि भेददर्शक यंत्र. जीवतत्वना भिन्नभिन्नरीते भेददर्शक प्रक्षिप्ततृतीयगाथा नीवतत्वना १४ भेदना नाम वतावनार चोथीगाथा १४ भेदोर्नु संक्षिप्तस्वरूप. जीव, लक्षणप्रदर्शक प्रक्षिप्तपंचमगाथा. न्यायवृष्टिए लक्षणस्वरूप भने अनुमानथी जीवतत्वसिद्धि जीवनां लक्षणोनु टुंकस्वरूप. सर्वजीवोमां चारित्रनु, सपर्नुस्वरूप पर्याप्तिस्वरूपमापक प्रक्षिप्तगाथाषष्ठी पर्याप्तिनुं विस्तृतस्वरूप. भिन्न भिन्नमते पर्याप्तिओनो अर्थ. पर्याप्तिक्रमविचार. पर्याप्तिसत्कपुद्गल विचार.. आहारक क्रियदेहमां तथा एकेन्द्रियोमा आहारना - खलरसपरिणमनसंबंधी शंकासमाधान. ३७ देवोमां पांचपर्याप्तिवर्णनरहस्य ते संबंधी भिन्नभिन्नविचार. ३७
SR No.002215
Book TitleNavtattva Vistararth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Granth Prakashak Sabha
PublisherJain Granth Prakashak Sabha
Publication Year1923
Total Pages426
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, B000, & B010
File Size7 MB
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